आज मैं बहुत खुश हूं…दिनेशराय द्विवेदी सर और यारों के यार बीएस पाबला जी से साक्षात मिलने का सौभाग्य मिला…और ब्लॉग पर दो गुरुदेवों… अनूप शुक्ल जी और समीर लाल जी समीर... Read more »
जब दो बड़े बात करते हैं तो छोटों को चुप रहना चाहिए…संस्कार ने हमें यही सिखाया है…यकीन मानिए यही मेरी दुविधा है…और शायद आज की पोस्ट लिखनी जितनी मेरे लिए मुश्किल है,... Read more »
जी हां…आज मैं कुछ नहीं कहूंगा…आज सिर्फ आप सब की सुनुंगा…एक दिन पहले उड़न तश्तरी वाले गुरुदेव ने पेड़, पत्तियों, मौसम, बर्फीली आंधियों को बिम्ब बनाते हुए बड़ी मर्मस्पर्शी पोस्ट लिखी थी-... Read more »
आज स्लॉग ओवर की बारी है…स्लॉग ओवर में आपको यही सुनाऊंगा…अब तंग करके देख…लेकिन उससे पहले गऊ माता पर लिखी कल वाली पोस्ट का जिक्र…मिथिलेश दूबे भाई के पास ज्ञान का कितना... Read more »
बचपन से सुनता आया हूं गऊ हमारी माता होती है…सीधा सा तर्क है कि हम गाय का दूध पीते हैं, इसलिए गाय हमारी माता होती है…लेकिन अब हम गाय का दूध कहां... Read more »
आज स्लॉग ओवर की बारी है…लेकिन मूड बनाने के लिए पहले नाम की थोड़ी चर्चा हो जाए…आप कहेंगे कि नाम में रखा क्या है…लेकिन कुछ के लिए तो नाम में ही सब... Read more »
हिंदी पिटी…बुरी तरह पिटी…अपने देश में ही पिटी…आखिर हिंदी है किस खेत की मूली…राष्ट्रीय भाषा कोई है हिंदी…जो महाराष्ट्र में चलेगी…जी हां, मैं भी इसी भ्रम में जी रहा था कि हिंदी... Read more »
पंच परमेश्वरों का निष्कर्ष है कि लेखन का सबसे अच्छा स्टाइल है कि कोई स्टाइल ही न हो…यानि फ्री-स्टाइल…आपकी सलाह सर माथे पर…आज इस माइक्रोपोस्ट में उसी फ्री-स्टाइल के साथ सिर्फ स्लॉग... Read more »
मुद्दों पर आधारित गंभीर लेखन…हल्का फुल्का लेखन…स्लॉग ओवर…या इनका कॉकटेल…क्या लिखूं…मैं खुद कन्फ्यूजिया गया हूं…और आपकी कुछ टिप्पणियों ने तो मुझे और उलझा दिया है…कुछ को गंभीर लेखन पसंद आ रहा है..... Read more »
जी हां, मुबारक हो दुनिया आगे जा रही है और हमने रिवर्स गियर पकड़ लिया है…ऊपर वाले ने चाहा तो हम जल्दी ही 1947 से पहले के उस दौर में पहुंच जाएंगे जहां... Read more »