आज स्लॉग ओवर की बारी है…लेकिन मूड बनाने के लिए पहले नाम की थोड़ी चर्चा हो जाए…आप कहेंगे कि नाम में रखा क्या है…लेकिन कुछ के लिए तो नाम में ही सब... Read more »
हिंदी पिटी…बुरी तरह पिटी…अपने देश में ही पिटी…आखिर हिंदी है किस खेत की मूली…राष्ट्रीय भाषा कोई है हिंदी…जो महाराष्ट्र में चलेगी…जी हां, मैं भी इसी भ्रम में जी रहा था कि हिंदी... Read more »
पंच परमेश्वरों का निष्कर्ष है कि लेखन का सबसे अच्छा स्टाइल है कि कोई स्टाइल ही न हो…यानि फ्री-स्टाइल…आपकी सलाह सर माथे पर…आज इस माइक्रोपोस्ट में उसी फ्री-स्टाइल के साथ सिर्फ स्लॉग... Read more »
मुद्दों पर आधारित गंभीर लेखन…हल्का फुल्का लेखन…स्लॉग ओवर…या इनका कॉकटेल…क्या लिखूं…मैं खुद कन्फ्यूजिया गया हूं…और आपकी कुछ टिप्पणियों ने तो मुझे और उलझा दिया है…कुछ को गंभीर लेखन पसंद आ रहा है..... Read more »
जी हां, मुबारक हो दुनिया आगे जा रही है और हमने रिवर्स गियर पकड़ लिया है…ऊपर वाले ने चाहा तो हम जल्दी ही 1947 से पहले के उस दौर में पहुंच जाएंगे जहां... Read more »
लिखना आज कुछ और चाहता था…लोकतंत्र की कीमत के मुद्दे पर…लेकिन कल मैं ब्ल़ॉगवाणी पर जाकर कई बार शर्मिंदा हुआ…शर्मसार हुआ एक पोस्ट के शीर्षक की वजह से…और वो शीर्षक सबसे ज़्यादा... Read more »
आज़ादी के बाद हमने क्या खोया और क्या पाया…आज इस पर विमर्श के लिए सिर्फ और सिर्फ कुछ सवाल रखूंगा…लेकिन उससे पहले आज हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट का उल्लेख… अमेरिका... Read more »
अंग्रेज़ों ने हमसे क्या लूटा…और बदले में भारत को क्या दिया…सवाल पुराना है…लेकिन ज्वलंत है…और शायद हमेशा रहेगा भी…अदा जी ने इस मुद्दे पर दो बेहद विचारोत्तेजक और सारगर्भित लेख लिखे… ‘रीढ़... Read more »
बड़े दिन से अपनी पोस्ट के ज़रिए गंभीर विमर्श करता रहा…इसलिए आज ट्रैक बदल रहा हूं…स्लॉग ओवर भी बेचारा एक कोने में दुबका बाहर आने के लिेए हाथ-पैर मार रहा था…तो आज... Read more »
आपने ब्रेक के बाद भी महावीर और जानकी देवी की कहानी पर विमर्श की आखिरी कड़ी लिखने के लिए प्रेरित किया…उसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूं…महावीर और जानकी देवी का... Read more »