सुबह आतंक ने दहलाया, रात को भूकंप ने हिलाया…खुशदीप

कल दिल्ली के लिए वाकई काला बुधवार था…सुबह दहशतगर्दों ने धमाके से दिल्ली को दहलाया…रात को भूकंप के झटके ने राजधानी को हिलाया…दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए आतंकी धमाके ने ग्यारह बेगुनाहों की जान ले ली और 75 से ज़्यादा को ज़ख्मी कर दिया, जिनमें अब भी कई की हालत नाज़ुक बनी हुई है…शुक्र है कि रात को 11 बजकर 28 मिनट पर आए भूकंप के झटके में जानमाल के नुकसान की कोई ख़बर नहीं मिली…4.2 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के सोनीपत में था…

दहशतगर्दों से लड़ने के लिए हमारा सिक्योरिटी-सिस्टम कितना मज़बूत है, इसका सबूत आतंकवादियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाका करके दिखाया, जहां वो करीब साढ़े तीन महीने पहले 25 मई को आईईडी के काम न करने की वजह से ऐसा ही धमाका करने में नाकाम रहे थे…आज तक पता नहीं चल सका कि 25 मई को धमाके की कोशिश करने के पीछे कौन लोग थे…13 जुलाई को मुंबई के झावेरी बाज़ार, ऑपेरा हाउस, दादर कबूतरखाना में एक के बाद एक हुए धमाकों में भी सिक्योरिटी एजेसिंया अभी तक खाली हाथ हैं…मुंबई धमाकों के बाद गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा था कि कोई खुफिया इनपुट नहीं मिला था…लेकिन साथ ही ये भी जोड़ा था कि इसे इंटेलीजेंस की खामी नहीं माना जाना चाहिए…कल दिल्ली में धमाके के बाद चिदंबरम ने संसद में खड़े होकर कहा कि जुलाई में खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस को कुछ लीड दिए थे, उसके बावजूद आतंकी अपने नापाक मंसूबे में कामयाब रहे…

ये वाकई शर्म की बात है…खुफिया इनपुट नहीं था तब मुंबई में धमाके हुए…इस बार खुफिया
इनपुट था तो भी दिल्ली में आतंकी हमले को नहीं रोका जा सका…आखिर कर क्या रही है सरकार…मुंबई में 26/11 हमले के बाद बड़े ज़ोरशोर से एनआईए (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) का गठन किया गया…उसके बाद तीन बड़ी आतंकी वारदात हुई हैं… पुणे का जर्मन बेकरी ब्लास्ट, तेरह जुलाई को मुंबई के सीरियल ब्लास्ट और अब दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाका…आखिर ऐसा क्यों होता है कि आतंकी अपना काम करके सफ़ाई से निकल जाते हैं और हम बस लकीर पीटते रहते हैं…

खैर ये तो रही आतंक के खतरे की बात…लेकिन दिल्ली को भूकंप से भी खतरा कम नहीं है…चलिए इस खतरे पर अब कल बात करूंगा…

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