मेज़बान सतीश सक्सेना, मेहमान राहुल सिंह-“वसुंधरा राजे”…खुशदीप

राहुल सिंह जी

पिछली पोस्ट में दिल्ली के इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में एंट्री का ज़िक्र किया था…ट्रे़ड फेयर से घर लौटा तो लैटर-बॉक्स में छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग का वही निमंत्रण-पत्र दिखाई दिया, जिसने इतने दिनो तक छकाया…खैर बात वहां से शुरू करता हूं, जहां पिछली पोस्ट पर छोड़ी थी…राहुल सिंह जी ने वादा किया था कि वो शनिवार को नोएडा मुझसे मिलते हुए जाएंगे…राहुल जी का पुत्र ग्रेटर नोएडा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है…दिल्ली से ग्रेटर नोएडा के रास्ते में नोएडा बीच में ही पड़ता है…मैं शनिवार को ऑफ होने की वजह से राहुल जी का इंतज़ार कर ही रहा था कि सतीश सक्सेना भाई जी का फोन आ गया…उनका हुक्म था कि एक बजे मैं उनके घर पहुंच जाऊं…सतीश जी ने बताया कि राहुल जी एक बजे उनके घर पर ही पहुंच रहे हैं…सतीश जी ने राहुल जी के साथ ये प्रोग्राम सेट होने की मुझे सूचना दी…मज़े की बात ये है कि सतीश भाई जी से अब पहचान करीब दो साल पुरानी हो चुकी है…वो नोएडा के सेक्टर 19 में रहते हैं और मैं सेक्टर 28 में…ये दोनों सेक्टर साथ-साथ ही हैं…लेकिन कभी ऐसा संयोग ही नहीं बना कि मैं उनके घर जा पाता…

अब सतीश भाई जी का दावतनामा और ऊपर से राहुल जी से विस्तार से कुछ बातचीत का लालच…मौका चूकने का सवाल ही नहीं था…मैं करीब सवा बजे सतीश जी के घर पहुंच गया…बेल बजाते ही मिलियन डॉलर स्माइल के साथ मेरा स्वागत करने के लिए सतीश जी दरवाज़े पर हाज़िर…मैं सोच रहा था कि राहुल जी अब तक आ चुके होंगे…लेकिन सतीश जी ने बताया कि राहुल जी ने फोन पर सूचना दी है कि उन्हें आने में थोड़ा वक्त लगेगा…सतीश जी ने इस बीच दिव्या भाभीश्री जी से परिचय कराया…मेहमाननवाज़ी और मिलनसारिता में बिल्कुल सतीश जी जैसा ही स्वभाव…सतीश जी ने इस बीच दो बहुत बड़ी खुशखबरी सुनाई…पंजाबी टच वाली इन खुशखबरियों का राज़ मैं यहां नहीं खोलने जा रहा..उम्मीद करता हूं कि सतीश जी खुद ही किसी पोस्ट में ये जानकारी देंगे…

खातिरनवाज़ी के बीच ही सतीश जी ने बताया कि राहुल जी संजय के साथ हैं…अब सतीश जी अंदाज़ लगाने लगे कि ये संजय कौन हैं…कहीं संजय मिश्रा तो नहीं…मैंने ध्यान दिलाया कि मो सम कौन वाले संजय भी हो सकते हैं…मेरा अंदाज़ सही निकला…वही संजय निकले…सतीश जी ने संजय से फोन पर बात की और मेरी भी कराई…संजय और मेरा आपस में जल्दी मिलने का वादा भी हुआ…खैर इंतज़ार खत्म हुआ और राहुल जी ड्राईंग रूम में प्रवेश करते दिखे…

लेकिन ये क्या राहुल जी के साथ ही “वसुंधरा राजे” जी का भी आगमन…मैं चौंका, राहुल जी तो छत्तीसगढ़ से जुड़े हैं, ये राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री रानी साहिबा उनके साथ कैसे…वही राजसी गरिमा, चेहरे पर वही तेज…खैर जल्दी ही झटके से उभरा…वो वसुंधरा राजे नहीं श्रीमति राहुल सिंह यानि हमारी भाभीश्री थीं…आपस में परिचय हुआ…(अब मेरी बात का यकीन नहीं करते तो फोटो देख लीजिये)…

श्रीमति सतीश सक्सेना और श्रीमति राहुल सिंह

एक चीज़ और नोट करने वाली थी कि दूसरी भाभीश्री (श्रीमति सतीश सक्सेना) एक पैर पर खड़ी होकर हमारी आवभगत में लगी रहीं …पंजाबियों को भी कहीं पीछे छोड़ देने वाली खातिर…यहां तक कि अब टेबल पर एक इंच भी ऐसी जगह नहीं बची थी, जहां खाने की कोई प्लेट न रखी हो…
अब चला बातचीत का दौर…पता चला कि राहुल जी ने छत्तीसगढ़ के मंडप में कोसा साड़ियों के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डिजाइनर नीलांबर से सतीश जी को अच्छा डिस्काउंट दिलवा दिया था, दिव्या भाभीश्री वहां से बेहतरीन साड़ियां ला कर बहुत खुश थीं…अब ये बात दूसरी थी कि सतीश भाई जेब को मोटा फटका लगने से कितने खुश हुए होंगे…यही तो पतियों (गुरुदेव समीर जी की भाषा में HUNNY) की खूबी होती है पत्नियों का पर्चेसिंग का शौक पूरा होने के बाद भी चेहरे पर मुस्कुराहट बनाए रखते हैं (कोई भुक्तभोगी ही दूसरे का दर्द समझ सकता है)…

खैर छोड़िए अब बात आई पुरातत्व की…वही पुरातत्व जिस पर राहुल जी का एक्सपर्टाइज़ रहा है…बात ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के रखरखाव की हुई…पुरातत्व महत्व के स्थलों की खुदाई की चली…ये देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि सतीश जी की पत्नीश्री को भी पुरातत्व वस्तुओं की अच्छी जानकारी होने के साथ दुर्लभ पत्थरों के संग्रह का भी शौक है…उन्होंने ऐसा कुछ संग्रह राहुल जी को दिखाया भी…दिव्या भाभीश्री ने राहुल जी से एक सवाल भी पूछा कि ये कैसे पता लगाया जाए कि कोई पत्थर वाकई आर्कियोलॉजिकल साइट का है या नहीं…या एंटीक चीज़ों को खरीदने से पहले उनकी प्रमाणिकता की जांच कैसे की जाए…यहां मैंने एक लाइन सतीश जी को देखकर बुदबुदाई…आप जैसे एंटीक के घर में होते हुए भाभीश्री क्यों चिंतित हैं…सतीश जी मेरा आशय फौरन समझ गए…उन्होंने दिव्या जी को बताने की कोशिश भी की…लेकिन वो पत्थरों की बातों में इतनी डूबी हुई थीं कि पहली बार में समझ नहीं पाई…फिर सतीश जी ने जब दोबारा आशय समझाया तो हम सबके ठहाके में दिव्या जी का ठहाका सबसे ऊंचा था…

राहुल जी, मैं और सतीश भाई

पता ही नहीं चल रहा था कि वक्त कहां जा रहा है…लेकिन राहुल जी ने बेटे से मिलने के लिए ग्रेटर नोएडा भी निकलना था…उन्होंने और भाभीश्री ने विदा लेने से पहले सतीश जी और मुझे दोनों को छत्तीसगढ़ से जुड़े साहित्य और बाल-मिठाई (उत्तराखंड स्पेशल) भेंट की…मिठाई वैसी ही मीठी जैसी राहुल जी और भाभीश्री का स्वभाव…उन्हें विदा करने के बाद मैंने भी सतीश भाई से इजाज़त लेकर अपने घर की ओर कूच किया…इतने अच्छे लोगों से मुलाकात का अहसास दिल में हमेशा के लिए संजोए हुए…

(तीनों फोटो सतीश सक्सेना भाई जी के कैमरे का कमाल)

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