लो जी आज आपको तमाम उम्र शादी को सुखी बनाए रखकर खुश रहने का राज़ बताता हूं…क्या करूं घर वालों ने न जाने क्या सोच कर नाम खुशदीप रख दिया था…अब नाम को सार्थक तो करना ही है न…
हां तो जनाब, ईर्ष्या के मारे मेरा एक दोस्त ( अरे अरे आप गलत समझ रहे हो ब्लॉगिंग वाली ईर्ष्या नहीं), मेरे पीछे पड़ गया कि बताऊं मेरी खुशहाल शादी का राज़ क्या है….मैंने उपदेश झाड़ने के अंदाज़ में बताना शुरू किया…
शादी दो पहिए की गाड़ी है…दोनों पहियों को एक दूसरे के लिए प्यार और सम्मान के अपनी ज़िम्मेदारियों को समझना चाहिए…अगर ये मंत्र अपनाओगे तो वैवाहिक जीवन में कहीं कोई दिक्कत नहीं आएगी…
दोस्त ने कहा…क्या इसे तुम और अच्छी तरह समझा सकते हो…
मैंने कहा…लो और सुनो, मेरे घर में, जितने भी बड़े मुद्दे होते हैं, उन पर मैं फैसले लेता हूं, और जितने भी छोटे मुद्दे, उन पर मेरी पत्नी…और हम कभी एक दूसरे के फ़ैसलों में दखल नहीं देते…
वो दोस्त अब भी हुड़कचुल्लू की मुद्रा में बैठा था…अपड़िया जैसे कुछ समझ नहीं आया…बोला….ज़रा फैसलों के बारे में और खुल कर बताओ…किस तरह के बड़े मुद्दे और किस तरह के छोटे मुद्दे…
मैंने कहा…यार तू भी न बस, अरे भई छोटे मुद्दे जैसे… कार कौन सी खरीदनी है, पैसा कितना बचाना है, कहां इन्वेस्ट करना है…प्रापर्टी कहां खरीदनी है, कब अपने पैतृक शहर जाना है, कौन सा सोफ़ा, एसी, खरीदना है, महीने का बजट बनाना, सुंदर मेड को घर में रखना है या नहीं…इन सब पर मेरी पत्नी फैसले करती है…मुझे बस हां में अपनी मुंडी हिलानी होती है…
दोस्त ने फिर उंगली की…लेकिन तुम्हारा रोल…
मेरा जवाब था…ये छोटे छोटे तुच्छ सवालों पर मैं अपना कीमती वक्त और दिमाग जाया नहीं करता…मेरे फैसले सिर्फ बड़े मुद्दों पर होते हैं…
दोस्त…जैसे कि…
मैं….जैसे कि अमेरिका को ईरान पर हमला करना चाहिए या नहीं…पाइप लाइन पर भारत को ईरान-पाकिस्तान समझौता मानना चाहिए या नहीं…पाकिस्तान से अमेरिका को न्यूक्लियर डील करनी चाहिए या नहीं…भारत को चांद पर मानव को भेजने के लिए पैसा खर्चना चाहिए या नहीं…अमिताभ बच्चन को गुजरात का ब्रैंड एबेंसडर बनना चाहिए या नहीं…सचिन तेंदुलकर को करियर के पीक फॉर्म में रिटायर हो जाना चाहिए या नहीं…और भी बहुत सारे…अब क्या क्या बताऊं…एक बात और, मैं जो भी फैसला लूं, पत्नीश्री कभी ऐतराज नहीं जताती (सच बताऊं, मुझ पर इतना विश्वास है कि मेरी बात को वो सही तरीके से सुनती भी नहीं…)
स्लॉग ओवर
मक्खन रेलवे स्टेशन पर मक्खनी के साथ पंजाब जाने के लिए ट्रेन का इंतज़ार कर रहा था…
इतने में पंजाब मेल आ गई…मक्खन ने आव देखा न ताव, झट से कूद कर ट्रेन पर चढ़ गया…
फिर ट्रेन के दरवाजे़ से ही मक्खनी से बोला….
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पंजाब मेल पर जैसे मैं जल्दी से चढ़ा हूं, ऐसे ही जब पंजाब फीमेल आए, तू भी झट से चढ़ जाना…
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