कुछ दिन पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी…हमलावरों ने हाथ काटा, कॉलेज ने नौकरी से बर्खास्त किया...केरल के थोडुपुझा के न्यूमैन कालेज में प्रोफेसर टी जे जोसेफ मलयालम पढ़ाते थे…इसी साल चार जुलाई को जोसेफ़ का दाहिना हाथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जु़ड़े कट्टरपंथियों ने काट दिया था…कट्टरपंथी जोसेफ़ से कथित तौर पर इसलिए नाराज़ थे क्योंकि उन्होंने इस साल मार्च में कॉलेज के बी कॉम के आंतरिक इम्तिहान में ऐसा पेपर सेट किया था जिसमें पैगम्बर मोहम्मद का ज़िक्र किया गया था…जोसेफ ने पेपर में जो सवाल सेट किया था वो यूनिवर्सिटी की अधिकृत किताब से लिया गया था और उन्हें सफाई का मौका भी नहीं दिया गया… जोसेफ के मुताबिक उन्होंने किताब के मूल लेखक पी टी कुंजु मोहम्मद को मोहम्मद कह कर उद्धृत किया था जिसे गलतफहमी में कुछ और ही रंग दे दिया गया…खैर कट्टरपंथियों ने जो किया सो किया कालेज ने प्रोफेसर जोसेफ को बर्खास्त कर दिया…ये प्रोफेसर जोसेफ के लिए हाथ कटने से भी बड़ा सदमा था..कालेज में जोसेफ के साथी प्रोफेसरों ने उनके हक में आवाज बुलंद की तो उन्हें कितना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा, वही आज आपको बताने जा रहा हूं…पहले देखिए ये तस्वीर…
मेल टुडे से साभार
आटो चलाने वाले ये शख्स प्रोफेसर स्टीफन हैं…स्टीफन उसी न्यूमैन कालेज में बॉटनी पढ़ाते थे जिसमें प्रोफेसर जोसेफ बर्खास्त होने से पहले मलयालम पढ़ाते थे…जोसेफ को बर्खास्त किया गया तो प्रोफेसर स्टीफन ने इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद की…लेकिन कालेज प्रबंधन ने एक नहीं सुनी…उलटे चर्च की ओर से संचालित इस कालेज ने स्टीफन को चुप रहने की हिदायत दी थी…साथ ही धमकी भी दी गई थी कि अगर स्टीफन ने ऐसा नहीं किया तो उन्हें भी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा…प्रोफेसर स्टीफन अपने स्टैंड पर डटे रहे…कालेज ने उन्हें भी बर्खास्त कर दिया…
प्रोफेसर स्टीफन का कहना है- आप किसी आदमी को तबाह कर सकते हैं लेकिन हरा नहीं सकते…मैं नाइंसाफ़ी के खिलाफ़ आवाज़ उठाना नहीं छोड़ूंगा…मेरा मानना है कि कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है…कालेज का प्रबंधन करने वाला चर्च भी नहीं…मुझे ज़रा भी परवाह नहीं कि चर्च मेरे ख़िलाफ़ क्या कदम उठाता है…
दरअसल कालेज में हुए एक सेमिनार में प्रोफेसर स्टीफन ने कहा था कि उनकी नज़र में प्रोफेसर जोसेफ़ को बर्खास्त किए जाना अन्यायपूर्ण और हताश करने वाला था…उल्लेखनीय है कि कालेज कोट्टायम की जिस महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आता है, उसके अपीलेट ट्रिब्यूनल ने भी प्रोफेसर जोसेफ़ की बर्खास्तगी को रद्द करने के लिए कालेज से कहा था…लेकिन कालेज ने ट्रिब्यूनल की भी एक नहीं सुनी और प्रोफेसर जोसेफ़ की बर्खास्तगी को वापस लेने से साफ मना कर दिया…और प्रोफेसर स्टीफन ने प्रोफेसर जोसेफ़ का साथ देना चाहा तो उनके साथ भी वही सलूक किया…
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YE SIRF AUR SIRF POLITICS HAI
MERA BHARAT MAHAN
(मूल्यांकन से बाहर पोस्ट)
प्रोफेसर स्टीफन जिंदाबाद
ऐसे जज्बे को सलाम
Happy Deepawali
kash naitikta insaniyat kee bhee koi pathshala hotee……..
kash bhagvan ke ghar der aur andher nahee hota………….
kash anyay ke khilaf ek shakhs nahee sara samaj ek jut aawaz uthata…….
kash koi aur university inhe job offer karta………..
ये वोट बैंक की राजनिती का नतीजा है | और केरल में सब चुप क्यों है तो कारण सामने है की हाथ कटाने वाला बिना एक दिन भी चुनाव प्रचार किये बिना ही चुनाव जीत गया | बाकियों को भी तो चुनाव जितना है |
प्रोफेसर स्टीफन के हिम्मत की तारीफ करनी होगी जहा लोग अपने खिलाफ होने वाले अन्याय के आगे हार जाते है वहा कोई किसी और के लिए इस हद तक लड़े ये वाकई दिलेरी का कम है | उनके जज्बे को सलाम करना चाहिए |
शर्म नाक वाकया…सर झुक जाता है ऐसे प्रसंगों पर…
नीरज
………."उल्लेखनीय है कि कालेज कोट्टायम की महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आता है"……….
क्या सोचकर नाम रखा होगा यूनिवर्सिटी का….वाकई मेरा भारत महान…
सच विजयी होगा!
लेकिन झूठ कितने बलिदान लेगा, इस की गिनती करना कठिन है।
बिलकुल सही बात है……
बड़ी दर्दनाक अवस्था है सच्चे और इमानदार लोग इस बात से दुखी नहीं हैं की भ्रष्टाचार और अराजकता बढ़ रही है बल्कि उनके दुःख का सबसे बड़ा कारण है इस देश के प्रधानमंत्री और राष्टपति जैसे न्याय और सत्य की रक्षा के लिए स्थापित पदों पर इस वक्त अन्याय,भ्रष्टाचार और बेईमानी को सुरक्षा देने वाले लोग बैठे हैं …..मेरा शोध यह दर्शाता है की 2007 में प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रपति बनने के बाद इस देश और समाज ही हालत बद से बदतर हुयी है इसमें दोष राष्ट्रपति के पद का नहीं बल्कि उस पर बैठे अयोग्य व्यक्ति की है …..क्या आप लोग भी ऐसा सोचते हैं ….
यह देश देवी देवतओ का हे या इन गुंडे बदमाशो का???
@ तश्तरी और संजय – यह हिटलरशाही नहीं "सेकुलरिज़्म" है…
@ सक्सेना जी – प्रोफ़ेसर की मदद करने की हिम्मत चर्च में ही नहीं है तो बाकी लोगों की क्या औकात है केरल में…
@ ललित शर्मा जी – इनकी बोलती इसलिये बन्द है क्योंकि केरल में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं… इस्लामिक उग्रवादियों को जो नाराज़(?) करेगा वह मुँह की खायेगा…
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@ ऊपर सभी महानुभावों के लिये एक सूचना – जिस व्यक्ति ने प्रोफ़ेसर का हाथ काटा है वह पंचायत चुनाव जीतकर सरपंच बन गया है (जेल में रहते हुए भी)…
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आईये हम सभी संघ को साम्प्रदायिक घोषित करने में अपना हाथ बंटायें… 🙂 🙂 🙂
@पूरबियाजी,
यही तो ब्लॉगिंग का सबसे बड़ा प्लसपाइंट है…भविष्य में ब्लॉगिंग ही सूचनाओं का सबसे तेज़, कम खर्चीला और विश्व में सर्वत्र पहुंच रखने वाला माध्यम बनने जा रहा है…
जय हिंद…
हद की हिटलरशाही है यह तो…
………………..
pranam.
bhai yeh awaaj t.v wale kiyu nahi uthate hai.
kiy yeh awaaj waha tak nahi pahuch rahi.
प्रोफ़ेसर स्टीफन जैसे लोग बहुत कम दीखते हैं और समाज भी इनकी मदद नहीं करता !
अन्याय है यह तो।
सच विजयी होगा!
लेकिन झूठ कितने बलिदान लेगा, इस की गिनती करना कठिन है।
हद की हिटलरशाही है यह तो…
प्रोफ़ेसर को मेरा विनत प्रणाम
कालेज की प्रबंध समिति के विरुद्ध मोर्चा खुले
सरकार में भी ऐसी स्थिति है भोग रहा हूं
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एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
पंकज जी को सुरीली शुभ कामनाएं : अर्चना जी के सहयोग से
पा.ना. सुब्रमणियन के मल्हार पर प्रकृति प्रेम की झलक
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कॉलेज की मान्यता रद्द करके वाईस चांसलर को दंडात्मक कार्यवाही करनी चाहिए थी। इनकी बोलती क्यों बंद है।
अन्याय के विरुद्ध लड़ने वाले प्रोफ़ेसर स्टीफ़न को मेरा सैल्युट।