40 करोड़ भूखों के देश में शादी तीन करोड़ की…खुशदीप

इमेजिन टीवी पर एक नया शो शुरू होने जा रहा है- शादी तीन करोड़ की…इमेजिन के सीनियर डायरेक्टर (मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशंस)  निखिल मधोक के मुताबिक इस रियलिटी शो के विजेता परिवार को घर में सपनों सरीखी शादी पर खर्च के लिेए चैनल की ओर से तीन करोड़ रुपये दिए जाएंगे…इस रियलिटी शो के रेडियो पर प्रोमो में बताया जा रहा है कि आपने बेटी की शादी के लिए कितना बचाया हुआ है…पांच लाख रुपये…प्रोविडेंट फंड वगैरहा से कितना और इकट्ठा कर लेंगे पांच लाख…और हाथ-पैर मारकर ज़मीन बेचकर पांच लाख और जोड़ लेंगे…यानि टोटल 15 लाख रुपये…चैनल फिर दावा करता है भूल जाइए ये सब, वो आपको देगा तीन करोड़ रुपये…

इस सीरियल के हमारे देश में क्या मायने है…इस पर भी पोस्ट में आगे आता हूं…लेकिन पहले आपको बताता हूं, एक शादी का किस्सा जिसमें मैं इसी सात फरवरी को शरीक हुआ…दिल्ली-गुड़गांव रोड पर फार्महाउस में शादी थी…ये नाम के फार्महाउस ही हैं…वरना दिल्ली के आलीशान फाइव स्टार होटलों को भी मात देते हैं…इन फार्महाउस तक पहुंचने का रास्ता नक्शे के ज़रिए शादी के कार्ड पर ही समझा दिया जाता है…अब यहां तक पहुंचना है तो आपके पास अपनी गाड़ी होना ज़रूरी है या आपको टैक्सी करनी पड़ेगी…नहीं तो कोई बाहर से इस शादी में शरीक होने के लिए आता है तो उसके लिए शादी में पहुंचना और वहां से आधी रात को वापस आना और भी टेढ़ी खीर साबित हो जाता है…लेकिन फार्महाउस में शादी को आजकल प्रैस्टीज से जोड़कर माना जाता है…

जिस शादी में मैं गया वहां राजस्थान के थीम पर राजे-रजवाड़ों की तरह पंडाल सजे हुए थे…सब कुछ ओपन में था…लेकिन उसी रात ओलों के साथ इतनी तेज़ बारिश हुई कि सब पंडाल धुल गए…गार्डन भी पानी-पानी हो गया…बारिश रुकने के बाद आनन-फ़ानन में सब कुछ ठीक किया गया…लेकिन लड़की वालों के चेहरे पर चिंता की लकीरें तो आ ही गईं थी…खैर बारात आई और सब कुछ ठीक-ठाक संपन्न हो गया…

लेकिन अब आता हूं मैं असल बात पर, शादी में खाने के लिए इतना कुछ था, इतना कुछ था कि किसी के लिए उसे गिनाना भी आसमान पर तारे गिनने के समान हो…एक बानगी देता हूं…खाने के बाद मीठे के लिए ही कम से कम 25 आइटम होंगी…रबड़ी-जलेबी, रसमलाई, गाजर हलवा, अंजीर हलवा, गुलकंद हलवा, ड्राई फ्रूट खीर, कुल्फी, आइसक्रीम, शाही टुकड़ी, मालपुआ, चॉकलेट्स स्टाल, चाकोलावा केक और भी पता नहीं क्या…अब इससे पहले स्नैक्स और खाने में क्या क्या होगा आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं…ये सब वाच कर ही रहा था कि फिर मैंने देखा कि वहां टोटल मेहमान कितने होंगे…बारात में तीस-चालीस आदमी और लड़की वालों की तरफ से 100-110…मुझे किसी से पता चला कि सिर्फ खाने-खाने का कॉन्ट्रेक्ट ही बीस लाख रुपये से ऊपर हुआ है…यानि एक-एक मेहमान पर दस हज़ार रुपये से ज़्यादा खाने-खाने पर ही खर्च…

मैं ये सब देख देख कर यही सोच रहा था कि ये जश्न है या अपराध…इतने मेहमानों ने कितना खाना खा लिया होगा…वेटर्स ज़रूर पंडाल के पीछे जमकर पेट-पूजा कर रहे थे…केटरर मुनाफ़ाखोर होगा तो यही खाना उसकी चेन के ज़रिए अगले दिन दूसरे-शादी समारोहों में भी पहुंच गया हो तो कोई बड़ी बात नहीं…

लेकिन मेरे लिए एक और चिंता वाली बात ये थी कि वहां सभी मेहमानों के मुंह पर यही था कि भई बहुत तगड़ी शादी की है…ज़्यादातर बिजनेसमैन ही वहां थे…अब उनमें ये भावना भी ज़रूर जगी होगी कि अपने बेटे-बेटी की शादी इससे भी बढ़ कर करेंगे…अब जिसके पास पैसा है वो तो ये सब कर सकता है…लेकिन जिसके पास इतना नहीं है, वो भी कर्ज लेकर ये सब करने की सोचने लगता है…लेकिन कभी किसी ने ठंडे दिमाग से सोचा है कि चंद घंटों के जश्न पर पानी की तरह पैसा बहाने से आखिर किसका भला होगा…वो भी उस देश में जहां चालीस करोड़ से ज़्यादा लोग रोज़ आधा पेट भरे ही सोते हैं…

ऊपर से इमेजिन का नया रियलिटी शो…शादी तीन करोड़ की…आखिर लोगों में ये कौन सा संदेश देना चाहते हैं…जिनके पास पैसा नहीं है या पूरा-सूरा ही पैसा है, क्या ये शो उन लोगों में हीन-भावना या कुंठा भरना चाहते हैं…यही है वो फर्क जो इंडिया को भारत से अलग करता है…अगर इंडिया भारत के लिए संवेदनशील नहीं होगा तो एक दिन ऐसा भी आएगा कि अंजाम इंडिया को भी भुगतना ही पड़ेगा…

चलिए अब हम ब्लॉगवुड में ही विचार करते हैं कि क्या शादियों के नाम पर पैसे का ये निर्लज्ज नाच हमारे देश में सही है…फिर शादियां किस तरह की जानी चाहिएं…आप सब भी अपने विचार दें…मैं अपनी राय को जोड़ कर कल निष्कर्ष के साथ इस कड़ी को विराम दूंगा…

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