सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया…खुशदीप

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया,
दिल ने अगर चराग जलाए तो क्या किया…

हम बदनसीब प्यार की रुसवाई बन गए,
खुद ही लगा के आग़ तमाशाई बन गए,
दामन से अपने शोले बुझाए तो क्या किया,
दिल ने अगर चराग जलाए तो क्या किया…
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया…

ले ले के हार फूलों के आई तो थी बहार,
नज़रें उठा के हम ने ही देखा न एक बार,
आंखों से अब ये पर्दे हटाए तो क्या किया…
दिल ने अगर चराग जलाए तो क्या किया…
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया…

गायक- तलत महमूद, संगीतकार- रवि, गीतकार-प्रेम धवन, फिल्म- एक साल (1957 )

अरे अरे ये क्या आप तो इस गाने के बोलों को किसी और घटनाक्रम से जोड़ कर देखने लगे…जनाब ऐसा कुछ नहीं कल यानि 9 मई को तलत महमूद साहब की तेरहवीं बरसी थी…

                                            
गायक तो भारतीय सिनेमा में एक से बढ़ कर एक हुए हैं, लेकिन तलत साहब की मखमली आवाज़ में लहर के साथ जो जादू था, वो बेमिसाल था…24 फरवरी 1924 को मंजूर अहमद के तौर पर नवाबों के शहर लखनऊ में जन्म लिया…बचपन से ही गायकी के शौकीन…घर में इच्छा जताई तो अब्बा हुजूर ने फरमान सुना दिया…गायकी या घर में से एक को चुनना पड़ेगा…तलत साहब ने गायकी को चुना…सोलह साल की उम्र से ऑल इंडिया रेडियो पर गाना शुरू कर दिया…1941 में एचएमवी ने तलत साहब की गज़लों का पहला रिकार्ड जारी किया…तलत साहब ने उस वक्त कलकत्ता का रुख किया…जहां के एल सहगल, उस्ताद बरकत अली ख़ान जैसे दिग्गज गज़ल गायकों का डेरा था…कुछ साल तक तलत ने वहीं अपने को मांजा…तब तक उनकी प्रसिद्धी पूरे देश में फैल चुकी थी…चालीस के दशक के मध्य में हिंदी फिल्मों में गाना शुरू किया तो फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा…1949 में आरजू के लिए तलत साहब का गाया गाना…ए दिल मुझे ऐसी जगह ले चल जहां कोई न हो…पूरे देश की ज़ुबान पर चढ़ गया था…तलत साहब ने सोलह फिल्मों में अभिनय भी किया…1992  में तलत साहब को पद्मभूषण मिला… 9 मई 1998 को 74 साल की उम्र में तलत साहब का मुंबई में निधन हुआ…

तलत साहब के कुछ प्रसिद्ध गाने…

हमसे आया न गया…(देख कबीरा रोया, 1957)
जाएं तो जाएं कहां….(टैक्सी ड्राईवर, 1954)
तस्वीर बनाता हूं…(बारादरी, 1955)
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है…(मिर्ज़ा गालिब, 1954)
इतना न मुझसे तू प्यार जता (छाया, 1961)
शाम ए गम की कसम (फुटपाथ, 1953)
जलते हैं जिसके लिए (सुजाता, 1959)
मेरी याद में तुन न आंसू बहाना (मदहोश, 1951)
फिर वही शाम, वही गम, वही तन्हाई ( जहां आरा 1964)
ए मेरे दिल कहीं और चल (दाग़, 1952)
अंधे जहां के अंधे रास्ते (पतिता, 1953)

वैसे ऊपर वाले गाने के बोलों को लेकर अब भी कुछ शुबहा हो तो तलत साहब का शमशाद बेगम के साथ फिल्म बाबुल (1950) के लिए गाया ये प्यारा सा गीत सुन लीजिए…शकील बदायूनीं के बोलों को नौशाद ने सुर दिए थे…(वैसे ब्लॉगिंग से भी अपना इश्क इससे कुछ कम नहीं)….

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