सबसे पहले तो मैं आभारी हूं आप सब का…
जी के अवधिया, एम वर्मा, विवेक रस्तोगी, ललित शर्मा, संगीता स्वरूप, सुरेश चिपलूनकर, काजल कुमार, सतीश सक्सेना, अविनाश वाचस्पति, अजित गुप्ता, मो सम कौन, संजीत त्रिपाठी, वंदना, सुमन, डॉ टी एस दराल, राज भाटिया, सामाजिकता के दंश, बी एस पाबला, पंडित डी के शर्मा वत्स, ताऊ रामपुरिया, अनूप शुक्ल, डॉ रूपचंद्र शास्त्री मयंक, राजभाषा हिंदी, अदा जी, सतीश पंचम, समीर लाल समीर, अजय कुमार झा, प्रतिभा, विनोद कुमार पांडेय, धीरू सिंह, हरकीरत हीर, दीपक मशाल, शोभना चौधरी, रोहित (बोले तो बिंदास), वीनस केसरी, राजीव तनेजा, वाणी गीत, महफूज़ अली, डॉ अमर कुमार, सागर, मुक्ति, सर्वत एम…
मुझे नहीं पता था कि मेरी ज़रा सी तकलीफ़ पर आप सब इतनी चिंता जताएंगे…वाकई आप सब का प्यार पाकर लगा कि ब्लॉगवुड कितना एक दूसरे की फिक्र करने वाला परिवार है…कौन कहता है हिंदी ब्लॉगिंग का कुछ नहीं हो सकता…कौन कहता है कि हम बस आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं…एक-दूसरे की टांग खिंचाई में ही हमें मज़ा आता है…अरे ऐसा कौन सा परिवार होता है जिसमें बर्तन खटकते नहीं…परिवार की पहचान संकट काल में होती है…जब परिवार का हर छोटा–बड़ा सदस्य चुनौती का सामना करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर मैदान में डट जाता है…हिंदी ब्लॉगिंग भी ऐसा ही एक गुलदस्ता है…क्या हुआ अगर गुलदस्ते में फूलों के साथ कुछ कांटे भी आ जाते हैं…अरे अगर ये कांटे न हो तो फूलों की कोमलता-सुंदरता-शीतलता का एहसास ही किसे हो…
रही बात मेरे स्वास्थ्य की…छह फुट का हट्टा कट्टा शरीर है…ये थोड़े बहुत झटके तो लगते ही रहते हैं…लेकिन आप सबके स्नेहाशीष से मुझमें शारीरिक और मानसिक प्रतिरोधक ताकत भरपूर है…इसलिए कहीं कोई दिक्कत नहीं…वैसे भी मेरा प्रिय गीत है…गाओ मेरे मन, चाहे रे सूरज चमके न चमके, लगा हो ग्रहण, गाओ मेरे मन…
मेरी पिछली पोस्ट पर कुछ टिप्पणियां बड़ी मज़ेदार आईं, उन्हीं का अजय कुमार झा स्टाईल में टिप्पणी पर टिप्पा करता हूं…
एम वर्मा की टीप
टंकी पर चढने से परहेज क्यों अब तो हर टंकी पर लिफ्ट लगवाने की योजना पर अमल भी हो चुका है…
मेरा टिप्पा
वर्मा जी मैंने टंकी के रास्ते के बीचोबीच खूंटा गाड़ दिया है…वो इसलिए कि भविष्य में जिसे भी टंकी पर चढ़ना-उतरना हो, उसका ऑन द स्पॉट हेल्पिंग हैंड बन सकूं…
काजल कुमार की टीप
अब टाइम बचाने की सोच ही ली है तो कुछ समय नियमित योग भी कर लिया करो भाई, साथ ही आयुर्वेद की भी कुछ कमाई करवा दो…
मेरा टिप्पा
काजल भाई, क्यों बैठे-बिठाए डॉ दराल, डॉ अमर कुमार, डॉ अनुराग से मेरे मधुर रिश्तों पर पानी फेरना चाहते हो…योग, आयुर्वेद ने स्वस्थ कर दिया तो फिर डॉक्टर, नर्सिंग होम…
सतीश सक्सेना की टीप
हम बड़े दिन से एक मरीज ढून्ढ रहे हैं कुछ प्रयोग करने को ! 25-30 साल से होमिओपैथी समझने की कोशिश कर रहे हैं ! बिना मरीज न हम होमिओपैथी को समझ पा रहे हैं ना होमिओपैथी हमें समझ पा रही है ! बताओ कब मिलोगे ??
मेरा टिप्पा
बहुत अच्छे सतीश भाई, आज ही एक ख़बर पढ़ रहा था कि अमेरिका में मेडिकल रिसर्च वालों को प्रयोगों के लिए एक लाख रुपये में भी बंदर नहीं मिलता…जबकि भारत में 500 रुपये में ही इस काम के लिए बंदर मिल जाता है…बाहर वालों ने इस फायदे को भुनाने के लिए यहां प्रयोगशालाएं भी खोल ली हैं…और आप 500 रुपये भी खर्च किए बिना मुझ पर सारे प्रयोग आजमाना चाहते हैं…चलिए, आप भी क्या याद करेंगे, कितना ताबेदार छोटा भाई है…बनवाता हूं अपने शरीर को आपकी प्रयोगशाला…
अविनाश वाचस्पति की टीप
भाई खुशदीप सहगल के स्वास्थ्य के लिए माननीय स्वास्थ्य मंत्री को एक अपील जारी कर दी जाए…
मेरा टिप्पा
यानि सरकारी अस्पताल में इलाज का इंतज़ाम…ठहरो अविनाश भाई पहले अपना थोड़ा बीमा बढ़वा लूं…
सुमन की टीप
Nice
मेरा टिप्पा
सुमन जी एक बार में ही पूरी जान मांग लो न…ये बार बार नाइस का हथियार इस्तेमाल करना कहां तक ठीक है…
डॉ टी एस दराल की टीप
खुशदीप भाई , मैं तो शुरू की कुछ पंक्तियाँ पढ़कर ही जान गया था कि आप मिस्टर एक्स बन चुके हैं…
मेरा टिप्पा
तो लगे हाथ डॉक्टर साहब एक मिस्टर सिक इंडिया कॉन्टेस्ट भी करवा दीजिए न…टॉप फाइव में तो आ ही जाऊंगा…
राज भाटिया की टीप
अजी हमारे यहां टंकी पर चढने के लिये स्पेशल रियायतें दी जा रही है, एक ब्लागर के साथ दूसरा फ्री, एक महीना ऊपर रहे एक सप्ताह फ्री…
मेरा टिप्पा
अब राज़ समझ आया राज जी की ओर से टंकी बनवाने पर इतना पैसा खर्च करने का…ये बिल्ड एंड ट्रांसफर वाला मामला था…जैसे आजकल भारत में हाईवे बनाकर आने-जाने वालों से टॉल वसूला जाता है…मान गए राज जी आपके बिज़नेस सेंस को…
बी एस पाबला की टीप
आखिर ले ही लिया ना पंगा? ब्लॉगिंग ने इस हाल में पहुंचा दिया कि शक्ल से ही बेवड़ा लगने लगे! ये इश्क नहीं आसां, इक आग का दरिया है!!!
मेरा टिप्पा
ए पंगा लैणा वी वीर जी तुसा ही सिखाया वे…हुण सारेयां नू ए न दस देना बॉडी दे किस पार्ट विच…
ताऊ रामपुरिया की टीप
जब आपको इतनी तकलीफ़ थी तो सीधे डा. ताऊनाथ अस्पताल चले आना था, वहां रामप्यारी से कैट-स्केन करवाकर इलाज शुरु करवा लेते. समीरलाल जी भी रामप्यारी से कैट-स्केन करवाकर ही इलाज करवाते हैं…
मेरा टिप्पा
अरे ओ ताऊ…क्यों गुरु और शिष्य में झगड़े के बीज बोण पर तुला है…राम प्यारी को बीच में डालकर…अब राम प्यारी के सुंदर सुंदर हाथों से कैट स्कैन करवाने के लिए कौन न मर मिटे…
उड़न तश्तरी की टीप
स्वास्थ्य तो सर्वोपरि है भाई. हफ्ते में दो बार लिखना और बाकी जितना समय मिल पाये उतना पढ़ने से, आराम बहुत मिल जाता है…
मेरा टिप्पा
गुरुदेव इतना आराम भी ठीक नहीं कि वो आपके गार्डन में आने वाली दो बच्चियों को गलतफहमी हो जाए और साधना भाभीजी को खुश होने का मौका मिल जाए…
अजय कुमार झा की टीप
हू हा हा हा पोस्टों की सारी कसर पूरी करने के लिए हम हैं न…आज से ही ओवर टाईम शुरू कर देते हैं…
मेरा टिप्पा
अजय भाई सुना है भाभी जी पंजाबण हैं…और पंजाबणों का गुस्सा मैं अच्छी तरह जानता हूं…भलाई इसी में है, संभल जाओ वत्स…
‘अदा’ की टीप
अब का करें राम ई मक्खन बूढ़ा गया,
सब तो लिखे रोज़ रोज़ वो दो पोस्ट पर आ गया,
अब का करें राम ई मक्खन बूढ़ा गया…
मेरा टिप्पा
बेचारा मक्खन,
अब आजकल के नए ज़माने को क्या दोष दें कि बूढ़ों को फालतू का सामान समझते हैं…आप जैसी विद्वान भी…यू टू ब्रूट्स…
धीरू सिंह की टीप
हम जैसे ठलुये भी दिमाग नही लगा पाते रोज़ एक पोस्ट लिखने को जबकि आप तो जानते ही है अपन तो चिन्ताविमुख, ईश्वर की दया पर पलने वाले लाट साहब सरीखे है जो अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम के उत्कृष्ट उदाहरण हैं… .
मेरा टिप्पा
धीरू भाई, आज पता चला कि पोस्ट लिखने के लिए दिमाग की भी ज़रूरत पड़ती है…
हरकीरत ‘ हीर’ की टीप
दस साल पहले …..???
मेरठ में ….???
कौन थी वो ….????
दुआ है आप जल्द तंदरुस्त हों …..!!
मेरा टिप्पा
हीर जी, ए हाल पे पूछेंदे हो या जान पे घडेंदे हो…
ऐ मेरा पिछला राज़ दस के मैणू पत्नीश्री नाल घार रहण देणा जे या नहीं…
डा० अमर कुमार की टीप
अपनी लगाम कुछ दिनों के लिये बीबी के हाथों पकड़ा दे, या मैं अपनी वाली भेज दूँ ? बस एक चिन्ता लग पड़ी है, तू लिखता था तो मैं आलसी और लिखाई-चोर हो गया था । अब मज़बूरन कुछ न कुछ मुझे ही लिखना पड़ेगा…
मेरा टिप्पा
डॉक्टर साहब स्त्री कोई भी हो करंट तो मारेगी ही…आप ताईजी को भी भेजकर क्यों मुझे डबल झटके दिलवाना चाहते हो…और हां कहते हैं न हर काम में कोई न कोई अच्छाई होती है…इसी बहाने आपको ज़्यादा पढ़ने का मौका तो मिलेगा…
मुक्ति की टीप
बाप रे खुशदीप भाई,
आप अपनी सेहत का ख़्याल रखिये…ये तो चिन्ता करने वाली बात है, जिसे आप यूँ हँसी-हँसी में कह गये…
मेरा टिप्पा
मुक्ति दीदी, अपना उसूल जो ठहरा…
गम पे धूल डालो, कहकहा लगा लो,
कांटों की नगरिया राजधानी है,
तुम जो मुस्कुरा दो जिंदगानी है,
हे यारों नीलाम करो सुस्ती,
हमसे उधार ले लो मस्ती,
मस्ती का नाम तंदरूस्ती…
सर्वत एम की टीप
यूरिक एसिड बढ़ गया, पेट तो मैं दिल्ली में बढ़ा हुआ देख ही चुका था, चेहरे से तो नहीं लेकिन ऊपर वाले ने जो नशीली आँखें बख्शी हैं, उससे डाक्टर क्या, राह चलता भी कोई पूछ ही लेगा कि भाई इस इलाके में कहाँ मिलती है, बता दो, आप तो जानते ही होगे…
मेरा टिप्पा
अरे सर्वत भाई,
एक हम ही तो है जो आंखों से मय पिलाते हैं,
कहने को तो इस शहर में मयखाने हज़ारों हैं,
इन आंखों की मस्ती के…
मेरे ये सारे टिप्पे निर्मल हास्य के तहत ही लिए जाएं…
अब आप सबके लिए एक गीत…
अहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तों,
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों…
स्लॉग ओवर
मक्खन को किसी ने सलाह दे दी कि आजकल सबसे ज़्यादा कमाई स्कूल खोलने से होती है…मक्खन लगा ख्याली घोड़े दौड़ाने…परम सखा ढक्कन से परामर्श किया…ढक्कन ने मशविरा दिया कि आजकल नाम की बड़ी इम्पोर्टेंस होती है इसलिए सबसे पहले तो स्कूल का ऐसा नाम सोच जो सबसे अलग हो और पहले किसी ने भी रखा न हो…इससे तेरा स्कूल बिल्कुल अलग पहचान बना लेगा…
मक्खन महीनों सोचता रहा…फिर एक दिन उसके दिमाग की बत्ती जली…फौरन ढक्कन के पास दौड़ा चला आया और घर के बाहर से ही चिल्ला कर बोला…यूरेका….यूरेका…मैंने स्कूल का नाम तय कर लिया है…ढक्कन ने पूछा…आखिर क्या नाम रखा स्कूल का…
मक्खन का जवाब था…मक्खन सिंह गर्ल्स कॉलेज फॉर ब्वायस…
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