इबादत नहीं है माला घुमा देना,
इबादत है रोते को हंसा देना…
स्लॉग ओवर
दो दिन पहले नाइस वाली पोस्ट पर मैंने आपको मक्खन की अंग्रेज़ी से रू-ब-रू कराया था…लेकिन आज आपको ऐसा ही एक बिल्कुल सच्चा वाकया सुनाता हूं…मेरठ में हमारी दुकान पर एक सेल्समैन था…जनाब को बात-बात पर अंग्रेज़ी झाड़ने का बड़ा शौक ..कुछ शब्द सुन-सुन कर सीख लिए थे बस उन्हीं को इस्तेमाल करता रहता था…जैसे फर्स्ट क्लास मतलब बढ़िया, थर्ड क्लास मतलब घटिया…अब अंग्रेज़ी के किसी प्रचलित शब्द का ठीक मतलब आए या न आए. अंदाज़े से बातचीत में फिट करना ज़रूर उसका शगल बन गया था…एक बार मेरे से वही सेल्समैन बतिया रहा था…दो दिन पहले ही वो पत्नी के साथ अपनी साली के घर होकर आया था…अब पता नहीं उसे साढ़ू भाई से क्या खुंदक थी…हां साली के बारे में उसके बड़े अच्छे विचार थे…मुझसे बोला…भाईसाहब, आपको क्या बताऊं, मेरा साढ़ू तो एकदम नॉनसेंस है, न बात करने की तमीज, न उठने-बैठने का सलीका…लेकिन मेरी साली…अब क्या बताऊ उसके बारे में…बस ये समझ लीजिए बिल्कुल चीप एंड बेस्ट…
इन महाशय ने सुन-सुन कर राय बना ली थी कि सबसे अच्छा मतलब चीप एंड बेस्ट…
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