ब्लॉगिंग ‘पप्पू-फेंकू’ से कहीं ऊपर…खुशदीप

लोकसभा चुनाव सिर पर
हैं…यक़ीनन सोशल मीडिया और ब्लॉगिंग भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने
वाले हैं…मेनस्ट्रीम मीडिया चुनाव से जुड़ी पल पल की ख़बरें लोगों तक पहुंचाने
के लिए कमर कस रहा है…लेकिन जहां तक मुद्दों के विश्लेषण का प्रश्न है तो सोशल
मीडिया कहीं ज़्यादा विश्वसनीय साबित हो रहा है…
कहा जा रहा है कि ये
लोकसभा चुनाव देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं…लेकिन मेरा कहना है कि चुनाव कोई
भी हो हमेशा महत्वपूर्ण ही होते हैं…राजनीतिक आग्रह से ज़्यादा मेरी फ़िक्र ब्लॉगिंग
और सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर है…ये सत्य है कि देश के हर नागरिक को किसी भी
राजनीतिक सोच में विश्वास रखने का पूरा अधिकार है…इसी अधिकार का चुनाव में मुक्त
प्रयोग ही तो हमारे लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है…

ठीक है हम पॉलिटिकल
एक्टिविस्ट हैं तो किसी भी हद तक अपनी पार्टी और अपने नेता की सपोर्ट में जा सकते
हैं…लेकिन जहां तक ब्लॉगिंग और फेसबुक, ट्विटर, गूगल प्लस जैसे सोशल मीडिया के
टूल्स का सवाल है तो हमें देखना चाहिए कि हम देश के हित के लिए इनका कैसा सदुपयोग
या दुरुपयोग कर रहे हैं…

‘पप्पू’, ‘फेंकू’ या ‘खुजलीवाल’ जैसे संबोधनों का हम अधिक से अधिक इस्तेमाल कर अपमैनशिप दिखा सकते
हैं…मेरा प्रश्न ये है कि एक दूसरे की काट में नेताओं के भद्दे चित्र बना कर,
पैरोड़ी लिखकर हम सिद्ध क्या करना चाहते हैं…क्या यही स्वस्थ हास्य होता
है…अगर जो रचनात्मकता हम ऐसे कार्यों में दिखा रहे हैं वहीं देश के ज्वलंत
मुद्दों को सुलझाने में अपना वैचारिक योगदान देकर करें तो क्या वो इस देश के लिए
अधिक उपयोगी नहीं होगा…

नेता कितना भी विलक्षण
क्यों ना हो, अकेले वो कोई चमत्कार नहीं कर सकता…इस देश में चमत्कार तभी होगा जब
हम इस देश के एक अरब, तीस करोड़ नागरिकों में से हर कोई नवनिर्माण में अपना योगदान
देगा…ये तभी होगा जब हर कोई सिर्फ जागेगा नहीं बल्कि उठेगा…

Don’t just
awake, but rise. Rise as an individual to transform this country into a
better place to live in.
राजनीतिक
प्रतिबद्धता को थोड़ी देर के लिए भूल जाइए…चुनाव के बाद कोई भी पार्टी दिल्ली की
गद्दी पर विराजमान हो, अपने चुनाव घोषणा पत्र को लागू करेगी…चुनाव से पहले इस
वक्त हर राजनीतिक पार्टी के दिग्गज चुनाव घोषणा पत्र तैयार करने में लगे हैं…ऐसे
में पार्टी कोई भी हो अगर वो देश को बेहतर बनाने के लिए आपसे सुझाव आमंत्रित करती
है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए…और हमें भी प्रबुद्ध नागरिक के नाते अपना
वैचारिक सहयोग देने के लिए आगे आना चाहिए…सब मिल कर राय रखें, विमर्श करें,
उनमें से जो बेहतर सुझाव सामने आएं, उन पर अमल कराने के लिए जी-जान से कोशिश की
जाए…क्या ये अधिक सार्थक नहीं होगा, हमारे लिए, आपके लिए और इस देश के लिए…या
फिर ये अधिक अच्छा है कि सोशल मीडिया पर बस अनर्गल प्रलाप किया जाता रहे…

Yes, We Can….Yes, We Feel….
मुझे ब्लॉगर के नाते
कांग्रेस की ओर से ऐसे ही एक आयोजन का न्योता मिला…वहां जिन मुद्दों पर विमर्श
किया गया- वो थे कि 1.कैसे देश के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी तानेबाने को अक्षुण रखा
जाए, 2.कैसे नवपरिवर्तन के लिए युवाशक्ति को संलग्न किया जाए, 3. घर-घर में निर्णय
प्रक्रिया में कैसे महिलाओं की भागीदारी बढ़ा कर उन्हें सशक्त किया जाए और 4. कैसे
हर स्तर पर शासन को और अधिक पारदर्शी बनाया जाए…इनके अलावा अन्य किसी मुद्दे पर भी
अपनी राय दी जा सकती थी….कार्यक्रम के दौरान छह घंटे तक विमर्श हुआ…इस मंथन से
कई अच्छे सुझाव भी सामने आए….अब जिस पार्टी ने ये आयोजन किया, उसकी ये ज़िम्मेदारी
बन जाती है कि वो ईमानदारी से इन्हें अपने घोषणापत्र में स्थान दें…

अगर कोई और पार्टी
भी इस तरह का आयोजन करती है और ब्लॉगर के नाते मुझे न्योता देती है तो मैं वहां भी
अपने विचार रखने के लिए जाऊंगा…चुनाव की प्रक्रिया के दौरान इस तरह की बहस में
जनता की भागीदारी स्वस्थ परंपरा की शुरुआत है, इसका स्वागत किया जाना चाहिए…

आखिर ये देश हम सबका
है, और हम सबको ही इसकी बेहतरी के बारे में सोचना है…ज़रूरत है तो बस राजनीतिक
कटुता से ऊपर उठने की…समस्या की पहचान से ज़्यादा समस्या के निदान की…सुझाव
किसी की बपौती या जागीर नहीं….अच्छे सुझाव इस देश में कोई भी नागरिक दे सकता है,
और हमें उनको खुले दिल से प्रोत्साहन देना चाहिए…

छोड़ो कल की बातें,
कल की बात पुरानी,
नए दौर में लिखेंगे,
मिलकर हम नई कहानी,
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी….




Keywords: Good Governance, Innovation, New India, Role of Blogging, Social Media, Women empowerment, Youth Power
error

Enjoy this blog? Please spread the word :)