प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका पहुंच चुके हैं…मंगलवार को व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री की मुलाकात बराक ओबामा से होगी…मनमोहन सिंह दुनिया के पहले नेता हैं जिन्हें व्हाइट हाउस में ओबामा ने राष्ट्रपति बनने के बाद सरकारी अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है..
जा़हिर है दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान न्यूक्लियर डील की प्रगति के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर तो चर्चा होगी ही…26/11, पाकिस्तान के रवैये, अमेरिका और चीन के हालिया साझा बयान जैसे मुद्दों पर भी बात होगी…बाद में ऐसे बयान भी आएंगे…अमेरिका के लिए भारत के साथ दोस्ती बहुत अहम…अमेरिका मुंबई हमलों की जांच में भारत का पूरा सहयोग करेगा…पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई तेज़ करनी चाहिए…लेकिन अमेरिका ये सब कहते हुए ये कहना भी नहीं भूलेगा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार है….
ऐसे बयान देना अमेरिका की फितरत है…जब पाकिस्तान से ज़रदारी या गिलानी अमेरिका पहुंचेंगे तो वाशिंगटन पाकिस्तान की शान में कसीदे पढ़ने वाले बयान जारी करेगा…तो क्या हम बेवकूफ हैं जो अमेरिका के इस डबल-क्रॉस को समझ नहीं पाते…या फिर हम जानबूझकर अपने को धोखा देते रहना चाहते हैं…
ओबामा चीन जाकर वो काम कर आए हैं जो आज तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं किया था…ओबामा ने भारत-पाकिस्तान विवाद को हल करने में चीन की अहम भूमिका बता दी है…वाह ओबामा जी वाह, एक डकैत को ही अधिकार दे दिया है कि वो पंच का चोला ओढ़ कर जितना चाहे, जहां तक चाहे लूट सकता है….हम इस पर औपचारिक विरोध का बयान जारी करने की बस खानापूर्ति ही कर सके…
पाकिस्तान के साथ हमारा जो हिसाब-किताब होना है वो तो है ही लेकिन चीन किस मुंह से अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर अपना हक जताता है…अरुणाचल के बारे में तो आप अक्सर सुनते रहते हैं…लेकिन अक्साई चिन पर कम ही जानकारी सामने आ पाती है…आज अक्साई चिन पर ही कुछ तथ्य आपके सामने रख रहा हूं…
अक्साई चिन
अक्साई चिन यानि सफेद नदी का दर्रा…यही नाम है जम्मू-कश्मीर के सबसे पूर्वी छोर और लद्दाख डिवीज़न में आने वाले हिस्से का। उन्नीसवीं सदी तक ये इलाका लद्धाख रियासत का अहम हिस्सा था…उन्नीसवीं सदी में ही डोगराओं और कश्मीर के राजा ने नागम्याल शासकों को मात देकर इस इलाके को अपनी रियासत में मिला लिया था…
37,250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अक्साई चिन में चीन के दखल पर भारत ने पहली बार विरोध पचास के दशक के मध्य में जताया था…उस वक्त चीन ने तिब्बत को झिन्जियांग प्रांत से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण अक्साई चिन में शुरू कर दिया था…तमाम विरोध के बावजूद 1957 में चीन ने इस सड़क का निर्माण पूरा कर लिया…यही सड़क 1962 में चीन और भारत के बीच जंग की एक अहम वजह थी…
चीन अक्साई चिन को झिंग्जियांग प्रांत की होटान काउंटी का हिस्सा मानता है…जम्मू-कश्मीर को अक्साई चिन से अलग करने वाली लाइन को ही एलएसी या लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के नाम से जाना जाता है…1963 में चीन और पाकिस्तान के बीच सीमा को लेकर हुए समझौते के तहत पाकिस्तान ने ट्रांस काराकोरम ट्रैक चीन के हवाले कर दिया था…वजह यही थी कि इस मोर्चे से भारत की मज़बूत घेराबंदी की जाए…इस समझौते में अक्साई चिन का कहीं कोई जिक्र नहीं था…दरअसल ट्रांस काराकोरम ट्रैक और अक्साई चिन आपस में कहीं नहीं मिलते…समझौते के तहत दोनों देशों ने अक्साई चिन से नौ किलोमीटर पहले ही अपनी सरहद को समाप्त माना था… इसलिए अक्साई चिन का जो भी विवाद है वो भारत और चीन के बीच का मामला है…इसमे पाकिस्तान कहीं कोई पार्टी नहीं हो सकता…
इसलिए इस मुद्दे पर जो भी बात करनी है, उसमें चीन को साफ तौर पर जता दिया जाना कि अक्साई चिन पर उसका अवैध कब्जा है…जब तक वो उसे खाली नहीं करता, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद नहीं सुलझ सकता…अभी तीन साल पहले गूगल अर्थ ने सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से पता लगाया था कि चीन ने अक्साई चिन के एक हिस्से में भारी निर्माण गतिविधियां शुरू कर रखी हैं…चीन 1998 से ही इस क्षेत्र को टैंक ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित करता आ रहा है…
ज़रूरत है हम अब चाशनी में डूबे कूटनीतिक बयान ही न जारी करें बल्कि अमेरिका को साफ संदेश दे आएं कि भारत अपने फैसले लेने में खुद सक्षम है…चीन हो या पाकिस्तान, भारत किसी की कोई बेजा हरकत बर्दाश्त नहीं करेगा…
स्लॉग ओवर
एक बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष भारत के दौरे पर आए…उन्हीं दिनों में दिल्ली में भारत और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच चल रहा था…चीन के राष्ट्राध्यक्ष को भारत के प्रधानमंत्री टेस्ट मैच दिखाने ले गए…मैच का पहला ओवर शुरू हुआ…हर बॉल पर चीनी राष्ट्राध्यक्ष को बड़ा मज़ा आ रहा था…
एक ओवर बाद ही छोर बदलने के लिए खिलाड़ी इधर से उधर होने लगे…ये देखकर चीनी राष्ट्राध्यक्ष भी ताली बजाते हुए सीट छोड़ कर उठ खड़े हुए…शिष्टाचारवश भारत के प्रधानमंत्री को भी उठना पड़ा…
चीनी राष्ट्राध्यक्ष ने कहा…वेरी इंट्रस्टिंग गेम…मैं अपने देश में भी इसे शुरू करने को कहूंगा…लेकिन आपको नहीं लगता कि इस गेम को खेलने के लिए वक्त थोड़ा कम रख गया है…सिर्फ पांच मिनट…
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