सच ! ज़माना बदलता है…खुशदीप​

ज़माना बदल गया है…​
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पहले रिश्ते प्यार के लिए होते थे, चीज़ें इस्तेमाल करने के लिए..​​


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अब चीज़ों को प्यार किया जाता है और रिश्तों को इस्तेमाल…​
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ज़िंदगी की इस कड़वी हक़ीक़त को छोड़िए, इस तस्वीर को देखिए…

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अब तो मानेंगे बदल रहा है ज़माना…

स्लॉग  ओवर..

मक्खन ढक्कन से…दस साल पहले जब मेरी मक्खनी से शादी हुई थी तो उसकी फिगर कोकाकोला की पुरानी बाटल जैसी थी..



और अब…
ढक्कन…अब क्या…

मक्खन…है तो अब भी कोकाकोला  जैसी ही, लेकिन…



2.5 लीटर की बाटल जैसी…
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