वर्चुअल दुनिया में मोटी चमड़ी का होना ज़रूरी…खुशदीप

कल की पोस्ट से आगे…

Feeling cool today, dumped my girl-friend, Happy Independence day

फेसबुक पर अभिषेक धान का यही संदेश था जिसे मालिनी मुर्मु ने दिल पर लिया और फिर फंदा लगा कर जान दे दी…मालिनी के घरवालों को यकीन ही नहीं हो रहा कि आत्मविश्वास से भरी उनकी लाडली ऐसा कदम भी उठा सकती है…इसके लिए वो अभिषेक धान से उसके ब्रेक-अप और फिर फेसबुक पर शेखी से बखान करने को ज़िम्मेदार मान रहे हैं…बैंगलुरू पुलिस ने आईपीसी की धारा 306 के तहत अभिषेक के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज ज़रूर कर लिया है…लेकिन क्या किसी के साथ नाता तोड़ने के बारे में फेसबुक पर लिखना अपराध है…ब्रेक-अप का फेसबुक पर बखान करना घोर निंदनीय तो है लेकिन अपराध नहीं है…यहां ये जानना भी अहम होगा कि फेसबुक पर अभिषेक के इस कमेंट को कितने लोगों ने माचो या प्लेब्वायिश मानते हुए लाइक किया होगा…

ये सच है कि शब्दों की मर्यादा का ध्यान न रखने वालों की भरमार ने सोशल नेटवर्क वेबसाइट्स को विषैला बना दिया है…फ्रैंड्स सर्किल का जिसे नाम दिया गया है वही सार्वजनिक अपमान के कोड़े बरसाने वाली सर्कस बन जाता है…अभिषेक धान ने मज़े लेते हुए तंज कसते हुए अपना स्टेटस अपडेट किया…अपनी गर्ल-फ्रैंड को डंप करने के लिए खुद की पीठ ठोंकने वाले अंदाज़ में…अभिषेक ये भी भूल गया कि मालिनी को बेशक उसने फ्रैंड मानना छोड़ दिया लेकिन फेसबुक पर वो अब भी उसकी फ्रैंड थी…उसके स्टेटस अपडेट को पढ़ सकती थी….वो फेसबुक जिसे मालिनी ने दुनिया को देखने का आइना बना रखा था…यहां वर्चुअल फेसबुक पर इतने फ्रैंड्स की मौजूदगी में जिस तरह अभिषेक ने शेखी बधारी…क्या वो रियल दुनिया में दोस्तों से भरे कमरे में मालिनी की मौजूदगी में ये हिमाकत कर सकता था…हर्गिज़ नहीं…

अपोलो अस्पताल के साइकाइट्रिस्ट डॉ संदीप वोहरा का कहना है कि पहले ब्रेक-अप होता था तो चार पांच लोगों के बीच की बात ही रहता था…लेकिन ऑनलाइन इसका ऐलान करने पर पढ़ने वाले सैकड़ो-हज़ारों में भी हो सकते हैं…इतने लोगों के बीच शर्मिंदगी का एहसास भावनात्मक तौर पर खतरनाक हो सकता है…डॉ वोरा के मुताबिक किशोरों के लिए आजकल रियल लाइफ और वर्चुअल लाइफ का भेद मिट गया है…यही वजह है कि पिछले पांच साल में इंटरनेट से जुड़े अवसाद को लेकर आने वाले मरीजों (ज्यादातर 15-25 आयु वर्ग) की संख्या काफी बढ़ी है…

सर गंगाराम अस्पताल के बाल और युवा मनोरोग स्पेशलिस्ट डॉ दीपक गुप्ता मानते हैं कि ऑनलाइन संवाद फेस टू फेस नहीं होता. इसलिए स्वभाव से दब्बू लोग तक सोचते हैं यहां जैसे चाहे वैसे भड़ास निकाली जा सकती है…ड़ा गुप्ता के मुताबिक पिछले दो तीन साल में ऐसी शिकायतें लेकर बहुत लोग आए कि नेट पर उनके खिलाफ दूसरों ने उलटा सीधा लिखा…किशोर या युवा वर्ग को सोशल नेटवर्क वेबसाइट पर कथित तौर पर बनी अपनी इमेज की बहुत चिंता रहती है…इसके लिए वो खुद को बढ़ा-चढ़ा कर भी पेश करते रहते हैं…यहां कूल फिनॉमिना भी बड़ा प्रचलन में है…कोई कितना कूल है ये उसके फेसबुक पर प्रोफाइल या फोटो से तय किया जाता है…भावनात्मक तौर पर टूटने का खतरा उनमें ज़्यादा हो जाता है जो परिवार से दूर हॉस्टल या कमरे लेकर अकेले रहते हैं और नेट पर दोस्ती और रिश्तों को ही अपना सब कुछ मान लेते हैं…

ज़्यादा अर्सा नहीं बीता जब अमेरिका के न्यू जर्सी में धारून रवि नाम के एक किशोर ने अपने कालेज के रूममेट के गे-रिलेशन का वीडियो नेट पर डाल दिया था…लोग चटकारे ले ले कर देखने लगे…नतीजा ये हुआ रूममेट ने फेसबुक पर संदेश छोड़कर पुल से कूद कर जान दे दी… अमेरिका के ही मिसौरी में रहने वाली तेरह वर्षीय मेगन मायर ने इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि उसके ओवरवेट होने का माईस्पेस पर मज़ाक उड़ाने वाले संदेशों की भरमार लग गई थी…

मालिनी मुर्मु के मामले में अभिषेक धान और फेसबुक को दोष देना आसान है लेकिन सवाल उससे कहीं बड़ा है…सोशल नेटवर्क को हम किस तरह इस्तेमाल करते हैं और कैसे अपने को इस्तेमाल होने देते हैं…हम ये भूल जाते हैं कि ट्विटर, फेसबुक या ब्लॉग पर ही कुछ लिखना ठीक वैसे ही है जैसे लोगों से भरे किसी कमरे के बीच ज़ोर से कोई बात कहते हैं…अपमैनशिप का कीड़ा हम जैसे आम लोगों में ही नहीं बड़ी हस्तियों में भी होता है…

ट्विटर पर सलमान रश्दी और तसलीन नसरीन की भिड़ंत अक्सर होती रहती है…पेश है उसी की एक बानगी…

तसलीमा नसरीन ने ट्विट किया…

“Be aware of Salman Rushdie! He wants to get girls in his ‘whipped cream’ range”

उसका जवाब सलमान रश्दी ने इस तरह दिया…

“Somewhere in the distance I hear the envious miaow of # Taslima-Nasrin being catty about me..Tut, tut, Taslima # Shame # Lajja.”


निष्कर्ष यही है कि सोशल नेटवर्क वेबसाइट्स या ब्लॉगिंग में लंबी पारी खेलने के लिए भावनात्मक रूप से मज़बूत होना यानि मोटी चमड़ी का होना ज़रूरी है…

(Firstpost पर Sudip Roy और TOI में Arpita Nath और  Sakshi Budhraja के इनपुट्स के साथ)

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