भारतीय तो भारतीय होते हैं…खुशदीप

एक प्रवासी भारतीय (एनआरआई) न्यूयॉर्क सिटी में बैंक पहुंचा…वहा उसने लोन अधिकारी से संपर्क किया…साथ ही कहा कि वो बिज़नेस टूर पर दो हफ्ते के लिए भारत जा रहा है, इसलिए बैंक से पांच हज़ार डॉलर का लोन लेना चाहता है…

लोन अधिकारी ने समझाया कि बैंक लोन तभी दे सकता है जब आप श्योरिटी (गारंटी) के लिए कोई चीज़ या संपत्ति बैंक में गिरवी रखें…

ये सुनकर प्रवासी भारतीय ने अपनी नई फेरारी कार की चाबियां और कागज़ात बैंक को दे दिए…कार बैंक के बाहर ही खड़ी थी…टाइटल वगैरहा सब क्लियर और कागज़ात ठीकठाक देखने के बाद बैंक भारतीय को लोन देने के लिए तैयार हो गया…

भारतीय के जाने के बाद बैंक के बड़े अधिकारी और स्टॉफ ये सोचकर हंसने लगे कि कोई पांच हज़ार के लोन के लिए ढाई लाख डॉलर की फेरारी भी गारंटी के तौर पर गिरवी रख सकता है…बैंक के ड्राइवर ने फेरारी ले जाकर बैंक की ही अंडरग्राउंड पार्किंग में पार्क कर दी… साथ ही उस पर अच्छी तरह कवर भी चढ़ा दिया…

भारतीय दो हफ्ते बाद वापस आया और बैंक आकर पांच हज़ार डॉलर का लोन चुका दिया…साथ ही बैंक इंट्रेस्ट के तौर पर 16 डॉलर की रकम का भी भुगतान किया…पेपर वर्क पूरा होने के बाद बैंक के डीलिंग अफसर ने भारतीय से कहा… सर, हमें आपके साथ बिज़नेस करने में बहुत खुशी हुई…लेकिन हमें थोड़ी हैरत भी है…आशा है आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे…आपके पीछे हमने चेक कराया तो पता चला कि आप अरबपति आदमी है…फिर आपको सिर्फ पांच हज़ार डॉलर
लोन पर लेने की क्या वजह थी…

ये सुनकर भारतीय मुस्कुराया और बोला…

न्यूयॉर्क सिटी में ऐसी कौन सी जगह या पार्किंग है जो 15 दिन तक मेरी फेरारी को पार्क करने और अच्छी तरह ख्याल रखने के लिए सिर्फ सोलह डॉलर की फीस लेती…

(ई-मेल पर आधारित)

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