बेवक्त ये गाना मैं आपको सुना रहा हूं…ब्लॉगिंग के 14 महीने में आज एक ऐसी घटना मेरे साथ हुई जो पहले कभी नहीं हुई…इसलिए कभी सोचता हूं कि मैं कुछ कहूं…कभी सोचता हूं कि मैं चुप रहूं…अब रात को ही किसी नतीजे पर पहुंच पाऊंगा…तब तक इस गीत के ज़रिए ही अपने अंदर की कशमकश दिखाता हूं…
या दिल की सुनो दुनियावालों,
या मुझको अभी चुप रहन दो,
मैं गम को खुशी कैसे कह दूं,
जो कहते हैं, उनको कहने दो,
ये फूल चमन में कैसे खिला,
माली की नज़र में प्यार नहीं,
हंसते हुए क्या क्या देख लिया,
अब बहते हैं आंसू बहने दो,
ये ख्वाब खुशी का देखा नहीं
देखा जो कभी तो भूल गए,
मांगा हुआ तुम कुछ दे ना सके,
जो तुमने दिया वो सहने दो,
क्या दर्द किसी का लेगा कोई,
इतना तो किसी में दर्द नहीं,
बहते हुए आंसू और बहे,
अब ऐसी तसल्ली रहने दो,
या दिल की सुनो दुनियावालों,
या मुझको अभी चुप रहने दो…
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