दबंगपुर में दबंग नेताओं का चारों तरफ दबदबा था…शरीफ़ इनसानों की तो जैसे वहां शामत आई हुई थी…किसी को किसी बात पर भी हड़का देना इन नेताओं का शगल था…शांति से रह रहे लोगों को कभी धर्म तो कभी जात के नाम पर लड़ा देना इन बाहुबली नेताओं के बाएं हाथ का खेल था…किसी को बिना बात पीट देना…गुटबाज़ी को जमकर हवा देना…और कुछ इन नेताओं को आता हो या ना आता हो लेकिन स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, इंडस्ट्री हर जगह यूनियन बनाकर अपने गुर्गे फिट करना खूब आता था…
एक दिन ये सब नेता जश्न मनाने के लिए एक मैदान में जुटे…बार बालाओं के डांस के साथ गला तर करने के लिए लाल परी का भी पूरा इंतज़ाम था…रात जैसे जैसे जवां होने लगी इन नेताओं की मस्ती भी बढ़ने लगी…हवाई फायर करने के साथ सब पूरे जोश के साथ नाच रहे थे…हो-हल्ला मचा रहे थे…साथ ही बोलते जा रहे थे……हम हैं यहां के राजकुमार…हमारी है सरकार…भला कौन हमारी राजनीति से पार पा सकता है…कौन हमसे सियासत के दांव-पेंच ज़्यादा जान सकता है…
लेकिन फिर अचानक इन नेताओं ने पता नहीं क्या देखा कि सबने मैदान से निकलकर सरपट भागना शुरू कर दिया…ऐसे जैसे न जाने कौन सी कयामत को देख लिया…सारे नेता बदहवास, डर के मारे सभी की घिग्घी बंधी हुई थी…मुंह से एक शब्द भी नहीं फूट रहा था…सारी दबंगई धरी की धरी रह गई…
आखिर किसे देखकर इन नेताओं को गश आ गई थी…
दरअसल मैदान के गेट पर एक शख्स आकर डट गया था और नेताओं को देखकर मंद मंद मुस्कुराने लगा था…
कौन राजनीति में इनका भी बाप था…
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असल में वो एक ब्लॉगर था….