कहीं ब्लॉग पर ही पढ़ा था…गौरमिन्ट (गवर्मेंट का देशज) वो होती है जो मिनट-मिनट पर गौर करे…प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठा सकता…उनके राजनीतिक विरोधी भी नहीं…लेकिन घर के मुखिया का बस यही फ़र्ज होता है कि वो खुद ईमानदार रहे…घर के और सदस्य क्या कर रहे हैं, किसके साथ उठ-बैठ रहे हैं, क्या उन पर नज़र रखना मुखिया का काम नहीं…और मुखिया यही नहीं देख पाता कि उसकी नाक के नीचे क्या हो रहा है तो फिर काहे का उसका तजुर्बा और काहे की योग्यता…और अगर मुखिया घरवालों की गलत-सलत हरकतों को देख कर भी अनजान बना रहता है तो उसे भी पाप का उतना ही भागीदार माना जाना चाहिए जितना कि खुद पाप करने वाला…
कम से कम तीन मामले तो ऐसे आ ही गए हैं जहां लगता है गौरमिन्ट ने मिनट-मिनट पर गौर नहीं किया…
कॉमनवेल्थ गेम्स
आप अपने घर में बच्चा जितना चाहे पैसा मांगता रहे, क्या आप उसे वो देते रहते हैं…क्या आप बच्चे से कभी हिसाब नहीं पूछते…फिर क्यों कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के लिए जितना पैसा मांगा जाता रहा, उतना पैसा आंख-मूंद कर दिया जाता रहा…घर में भी हम देखते रहते हैं कि बच्चा गलत सोहबत में बिगड़ तो नहीं रहा…प्रधानमंत्री की ओर से कॉमनवेल्थ में मोटी लूट के आरोपों पर वक्त रहते क्यों ध्यान नहीं दिया गया..
टू जी स्पेक्ट्रम
प्रधानमंत्री मंगलवार को मुरासोली मारन के स्मृति समारोह में गए तो वहां उनकी नज़र पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा पर पड़ी….प्रधानमंत्री ने राजा के कंधे पर हाथ रखने से पहले पूछा- हाऊ आर यू…राजा का जवाब था-नाइस…राजा वही शख्स हैं, जो टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सरकार को एक लाख छिहत्तर हज़ार करोड़ का चूना लगाने के लिए आरोपों के कटघरे में खड़े हैं… यूपीए के पिछले कार्यकाल में भी राजा के दामन पर भ्रष्टाचार के कीचड़ के छींटें आए…फिर क्यों पिछले साल भी लोकसभा चुनाव के बाद यूपीए- टू की कैबिनेट टीम में राजा को जगह दी गई…आखिर किस दबाव में लिया गया ये फैसला...पीएम अगर राजा को साफ तौर पर मंत्री बनाने से इनकार कर देते तो करुणानिधि को भी थक-हार कर दूरसंचार मंत्री के लिए दूसरे का नाम आगे करना पड़ता…
सीवीसी की साख
देश में विजिलेंस के लिए सबसे ऊंचा ओहदा चीफ विजिलेंस कमिश्नर यानि सीवीसी का होता है…लेकिन जब सीवीसी खुद ही भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर निशाने पर हो तो इंसाफ़ की उम्मीद कैसे की जा सकती है…यही सवाल सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी पी जे थॉमस को लेकर सरकार से किया…थॉमस केरल कॉडर से हैं और 1991-92 के पामोलिन आयात घोटाले की चार्जशीट में उनका नाम है…उस वक्त थॉमस केरल के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सचिव हुआ करते थे…ये घोटाला सिर्फ दो करोड़ चालीस लाख का था…ये रकम टू जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम्स, आईपीएल, आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े करोड़ों-करोड़ के आगे नगण्य नज़र आती है…थॉमस सीवीसी बनने से पहले दूरसंचार विभाग में ही सचिव के पद पर तैनात थे..सीवीसी बनाने का फैसला पीएम, गृह मंत्री पी चिदंबरम और लोकसभा में नेता विरोधी दल की कमेटी करते हैं…यहां नेता विरोधी दल सुषमा स्वराज के फाउल-फाउल चिल्लाने के बावजूद पीएम और गृह मंत्री ने थॉमस के नाम पर ही मुहर लगाई…
ऊपर जो तीनों मामले गिनाए हैं उनमें गौरमिन्ट ने क्या वाकई मिनट-मिनट पर गौर किया….अगर नहीं तो प्रधानमंत्री जी कैबिनेट के मुखिया होने के नाते आपको भी कसूरवार ठहराया जाएगा…
स्लॉग ओवर
ओबामा ने भारत दौरे पर कहा कि वो मौजूदा जिस गद्दी पर हैं, वो सिर्फ गांधी की बदौलत है…
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी जवाब दिया….मैं जहां तक पहुंचा हूं, उसके पीछे भी एक ‘गांधी’ ही है….
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