कीप इट अप हमारी वाणी, कुछ सुझाव…खुशदीप

आज हमारी वाणी पर क्लिक किया तो सुखद आश्चर्य हुआ…पेज खुल भी तेज़ी से रहा था और फीचर भी सादे किंतु उपयोगी लग रहे थे…कई ब्लॉगर भाइयों के सुझाव के अनुरूप हमारी वाणी ने नापसंद का बटन हटा दिया, इसके लिए साधुवाद…हमारी वाणी सच में ब्लॉगवुड की हमारी वाणी बने और विवादों का साया इस पर न पड़े, इसके लिए मैं अपनी और से कुछ सुझाव देना चाहता हूं, आशा है टीम हमारी वाणी इन पर ध्यान देगी….

सुझाव नंबर एक

वैसे तो दिन में लिखी जाने वाली सभी पोस्ट रैंडमली एक के बाद हमारी वाणी के होम पेज पर दिखती रहें तो सबसे आदर्श स्थिति होगी…इससे नए-पुराने सभी ब्लॉगर्स की पोस्ट को थोड़ी-थोड़ी देर बाद ऊपर आने का मौका मिलता रहेगा…और अगर ऐसा संभव नहीं है तो हॉट लिस्ट में सबसे ज़्यादा पढ़ी गईं पोस्टों को ही वरीयता देने का आधार बनाया जाए…ये भी ध्यान रखा जाए कि ज़्यादा पढ़ी गई पोस्ट में एक आईपी अड्रैस से एक क्लिक काउंट किया जाए…अगर उसी आईपी अड्रैस से एक से ज़्यादा बार क्लिक होता है तो उन्हें काउंट नहीं किया जाए…

सुझाव नंबर दो

एग्रीगेटर सुचारू और निर्विवाद रुप से चले ये हम सब ब्लॉगर्स के हित में हैं…इसलिए भाई गिरीश बिल्लौरे ने एक बड़ा अच्छा सुझाव दिया था कि अगर ब्लॉगर्स के लिए कोई मासिक या सालाना आर्थिक अंशदान रखा जाता है तो अच्छी बात होगी…इससे एग्रीगेटर टीम क्वालिटी पर निगरानी रखने के लिए स्टॉफ का प्रबंध भी कर सकेगी और उस पर आर्थिक तौर पर ज़्यादा बोझ भी नहीं पड़ेगा…इस तरह ये कोऑपरेटिव के सिद्धांत पर चलेगा और मालिक या जनसेवा करने जैसा पेंच ही खत्म हो जाएगा…

सुझाव नंबर तीन

हमारी वाणी को विवादों से इतर रखने के लिए ये देखा जाए कि व्यक्तिगत विद्धेष, साम्प्रदायिक वैमनस्य, अश्लील, देशविरोधी, अभद्र, नारी विरोधी या अन्य आपत्तिजनक पोस्ट को टीम हमारी वाणी अपनी डेस्क पर ही फिल्टर कर दे…ऐसी पोस्ट को ब्लॉक कर दिया जाए, साथ ही उन्हें लिखने वाले ब्लॉगर विशेष को चेतावनी दी जाए…अगर वो फिर दोबारा वैसी ही पोस्ट डाल देते हैं तो उनके ब्लॉग को ब्लैक लिस्ट कर हटा दिया जाए…

सुझाव नंबर चार

टीम हमारी वाणी ब्लॉगवुड के निर्विवादित ब्लॉगरजनों से सात या ग्यारह सदस्यीय सलाहकार मंडल बनाए…इनमें से एक मुख्य सलाहकार हों…विवाद की स्थिति में सलाहकार मंडल में बहुमत की राय से फैसला किया जाए…मुख्य सलाहकार को अपना वोट देने का अधिकार तभी हो जब सलाहकार मंडल की राय टाई हो जाए…यानि सात सदस्यीय मंडल में अगर किसी मुद्दे पर हक़-विरोध में तीन-तीन और ग्यारह सदस्यीय मंडल में पांच-पांच वोट आते हैं तो मुख्य सलाहकार अपनी राय दें…

सुझाव नंबर पांच

ब्लॉगवुड के लिए एड का जुगाड़ करने के लिए नए-नए एवैन्यू तलाशे जाएं…हमारी वाणी का मकसद एड के ज़रिए ब्लॉगर्स को आर्थिक लाभ पहुंचाना भी रहे…

इसके अलावा मैं एक बात और कहना चाहता हूं….नापसंद का चक्कर खत्म होने के बाद एक और चक्कर शुरू हो गया है…ये है बेतुकी टिप्पणियों के ज़रिए किसी पोस्ट को ऊपर पहुंचाने की कोशिश करना…बेनामी टिप्पणियों की तो पहले भी समस्या रही है…लेकिन ये बार-बार एक ही बेतुकी टिप्पणी करने का खेल और भी खतरनाक है…इससे पोस्ट में जो मुद्दा उठाया गया है उससे पाठकों का तारतम्य टूटता है और सही ढंग से टिप्पणी करने वालों का भी अहित होता है…इस तरह बेतुकी टिप्पणियां ही उस पोस्ट के मूल की हत्या कर देती है…ऐसी टिप्पणियों को रोकने का इलाज एग्रीगेटर के पास नहीं हो सकता और न ही होना चाहिए…अगर ऐसी टिप्पणियां आती हैं तो पोस्ट लेखक का ही कर्तव्य बन जाता है कि वो व्यक्ति विशेष से खुन्नस या अन्य किसी स्वार्थ के चलते आने वाली टिप्पणियों को खुद ही डिलीट कर ले…अन्यथा मॉडरेशन का इस्तेमाल करे…

अभी इतने सुझाव ही ज़ेहन में आ रहे हैं…और आएंगे तो उन्हें भी हमारी वाणी टीम के विचारार्थ भेजता रहूंगा…

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