कश्मीर पर क्या आप चुप ही रहेंगे…खुशदीप

मेरी कोशिश रहती है कि जिन मुद्दों पर विवाद के आसार दिखते हैं, उनसे दूर ही रहा जाए…लेकिन कश्मीर पर बिना लिखे कुछ रहा नहीं जा रहा…कश्मीर में हिंसा और आक्रोश का दौर पिछली 11 जून से चल रहा है…तीन महीने में 90 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है…लेकिन ये आग कैसे बुझाई जाए, किसी को समझ नहीं आ रहा…न युवा सीएम उमर अब्दुल्ला को और न ही दिल्ली में मनमोहन सिंह सरकार को…आप की कश्मीर पर राय कुछ भी हो, लेकिन ये तो मानेंगे ही कश्मीर राष्ट्रीय मुद्दा है…क्या कश्मीर में शांति लाना सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व की ज़िम्मेदारी है…क्या राष्ट्र का हिस्सा होने के नाते हमारा कुछ फर्ज़ नहीं बनता…

केंद्र सरकार की आज दिल्ली में बुलाई सर्वदलीय बैठक में यही फैसला लिया जा सका कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर जाकर मौके का मुआयना करेगा और सभी वर्गों के लोगों से बातचीत करेगा….सरकार कश्मीरियों की भावनाओं का ध्यान रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है बशर्ते कि वो भारतीय संविधान के दायरे में हो…प्रतिनिधिमंडल कब कश्मीर जाएगा, तारीख तय नहीं हुई हैं…प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का कार्यक्रम गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर सरकार मिलकर तय करेंगे…चलिए उन्हें अपने तरीके से काम करने दीजिए…हम अपने तरीके से काम करते हैं…

अगर राष्ट्रीय महत्व के फैसलों में जनभावना का ध्यान रखा जाना चाहिए, तो जनभावना को बनाने के लिए क्या हमारा कोई कर्तव्य नहीं बनता..और ब्लॉग तो अब लोकतंत्र का पांचवां खम्भा बनने की ओर अग्रसर है…इसलिए इस दृष्टि से ब्लॉगर की भूमिका तो और भी महत्वपूर्ण हो जाती है…मेरा उद्देश्य कश्मीर पर बहस को शुरू करना है…लेकिन पहले मैं कुछ बातें स्पष्ट कर दूं…इस बहस को सार्थक आयाम तभी दिया जा सकेगा, जब पहले से दिमाग में हम कोई बंधी-बंधाई सोच लेकर न चले…कुछ नए अंदाज से सोचा जाए…इसका सीधा तरीका है…कश्मीर को लेकर जितने भी पक्ष हैं, आप उनकी जगह अपने को खड़ा कर सोचें…जैसे कि आप मान लें…

1 आप आम कश्मीरी नागरिक है, जो धरती की जन्नत पर रहते हुए जेहन्नुम की आग को झेल रहा है…
2 आप जम्मू-कश्मीर के युवा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की जगह सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं…
3 आप कश्मीरी पंडित है जिसे अपने घर को छोड़कर दो दशक से शरणार्थियों की तरह जीवन गुज़ारना पड़ रहा है…
4 आप जम्मू या लेह के नागरिक हैं जिन्हें कश्मीर को ज़्यादा तरजीह दिए जाने.की वजह से भेदभाव की शिकायत है…
5 आप प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जगह पर हैं और राष्ट्र को एकसूत्र में बांध रखने की आप पर ज़िम्मेदारी है..
6 आप केंद्र में विरोधी दल के नेता हैं, हर मुददे को राजनीति के नफ़े-नुकसान के तराजू में तौल कर कोई फैसला लेने की जगह वाकई देशहित में आप फैसला लेते हैं…
7 आप कश्मीर में मुख्य विरोधी दल पीडीपी की नुमाइंदगी कर रहे हैं, जिसका काम कश्मीरी अवाम की आवाज़ को बुलंद करना है, साथ ही अपनी राजनीति की लकीर को बड़ा करते हुए उमर अब्दुल्ला को सरकार से हटाना है…
8. आप कश्मीर में सैनिक होने के नाते अपनी ड्यूटी बजाते हुए दिन-रात कभी आतंकवाद तो कभी युवा कश्मीरियों के आक्रोश का सामना करते हैं…
9 आप अलगाववादी संगठन हुर्रियत कान्फ्रेंस, जेकेएलएफ के नुमाइंदे हैं और आपका लक्ष्य कश्मीर की आज़ादी है..
10 आप कश्मीर में सेब की बागबानी करते हैं…सेब का बंपर उत्पादन होते हुए भी उठान न होने की वजह से माल आपके सामने सड़ रहा है…

एक बार फिर गुज़ारिश करुंगा कि किसी भी समस्या का समाधान सिर्फ अपनी चलाने से या फोर्स से नहीं निकल सकता…समाधान हाथ में पत्थर उठाने या बुलेट से भी नहीं निकल सकता…समाधान अगर निकलेगा तो वो सिर्फ ठंडे दिमाग से आमने-सामने बैठ कर बातचीत से ही निकलेगा…हमें अपनी बात कहने के साथ दूसरा क्या कह रहा है, ये भी सुनने का संयम रखना होगा…और इस बहस में हिस्सा लेने के लिए मेरी एक और विनती है, अतीत की कड़वी यादों को जितना कम से कम कुरेदा जाए, उतना ही बेहतर रहेगा…बीते कल में जो हो गया, वो हमारे हाथ में नहीं है…हमारे हाथ में सिर्फ आज है…इस आज में हम खता करते हैं तो अंजाम आने वाले कल की पीढ़ियों को भुगतते रहना होगा...आइए आपका स्वागत है, खुले मन से इस खुली बहस में हिस्सा लीजिए…और हां अगर मतभेद आते हैं तो उसे संवाद की तरह ही लिया जाए विवाद की तरह नहीं…मैं अपनी तरफ से अगले कुछ दिन तक इसी मुद्दे पर रोज कुछ नया रखने की कोशिश करुंगा…

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