ईश्वर आपके लिए क्या करे ?…यही था वो टॉपिक जिस पर बुज़ुर्गो के कल्याण के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने शहर में रहने वाले बुज़ुर्गों से उनके विचार मांगे…कई बुज़ुर्गों ने अपने विचार भेजे…पांच श्रेष्ठ विचारों को छांट कर उनमें से सर्वोत्तम छांटने के लिए शहर की कुछ जानीमानी हस्तियों को बुलाया गया…उनमें शहर के एक बहुत बड़े कारोबारी भी थे…बड़ी मुश्किल से इस कार्यक्रम के लिए वो वक्त निकाल कर आए थे…टाइप की गई पांच कॉपियों में से आखिरकार सर्वश्रेष्ठ विचार ये चुना गया…
ईश्वर, आज मैं आपसे बहुत खास मांगने जा रहा हूं…हो सके तो मुझे टेलीविजन बना दीजिए…मैं उसकी जगह लेना चाहता हूं…उसी की तरह घर में जीना चाहता हूं…सबसे अहम स्थान पर मैं बैठा रहा हूं और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहे…मैं जब बोलूं तो सब मुझे गंभीरता से सुनें…मैं ही सबके आकर्षण का केंद्र रहूं और बिना कोई रोक-टोक या किसी के सवाल किए अपनी बात कहता रहूं…जब मैं किसी वजह से काम करना बंद कर दूं तो मुझे वैसी ही देखभाल मिले जैसे कि टीवी के काम बंद कर देने पर उसे मिलती है…फौरन उसकी नब्ज़ देखने के लिए मैकेनिक (या डॉक्टर) बुलाया जाता है या उसे ही रिपेयर शॉप (नर्सिंग होम) भेज दिया जाता है…मेरा बेटा काम से थक-टूट कर आने के बाद भी जिस तरह टीवी को कंपनी देना नहीं भूलता, वैसे ही मुझे भी दे…मुझे टीवी की तरह ही लगे कि मेरा परिवार कभी कभी मेरे लिए अपने और सब ज़रूरी काम भी छोड़ सकता है…और सबसे बड़ी बात…मुझे लगे कि मैं अपनी बातो से अपनों को खुश रख सकता हूं, उनका दिल बहला सकता हूं…
सर्वश्रेष्ठ विचार किस बुज़ुर्ग ने भेजा था, ये जानने के लिए आयोजकों ने लिस्ट से नंबर के अनुसार बुज़ुर्ग का नाम और पता पढ़ा…
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अब चौंकने की बारी शहर के बड़े कारोबारी की थी…नाम और पता, उसके पिता और खुद के घर का था…