दत्त ने ही लोकपाल के मसले पर पहली बार जंतर-मंतर पर अनशन किया था…गांधीवादी सेवा और सत्याग्रह ब्रिगेड के महासचिव दत्त अपने पांच साथियों के साथ बीते 30 जनवरी को आमरण अनशन पर बैठे थे…शंभू दत्त कहते हैं, ‘अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, प्रशांत भूषण और स्वामी अग्निवेश मेरे पास आए और अनशन खत्म करने का अनुरोध किया…उन्होंने कहा कि उनका संगठन ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ भी इसी मसले पर काम कर रहा है और अब वे इस विरोध-प्रदर्शन को आगे बढ़ाएंगे…मैं उनके जाल में फंस गया और अनशन तोड़ने का फैसला किया…लेकिन अब लगता है कि हमें अनशन खत्म नहीं करना चाहिए था…हम अपने मकसद को लेकर काफी दृढ़ थे…’
टीम अन्ना के सदस्यों की आलोचना करते हुए शंभू दत्त ने कहा कि कोर कमेटी के सदस्यों में ‘दम नहीं’ हैं… उन्होंने कहा कि टीम अन्ना और खासकर अरविंद केजरीवाल ने उन लोगों की नजर में अपनी विश्वसनीयता खो दी है जो भीतर की कहानी जानते हैं… कोर कमेटी में ‘जी हुजूरी’ करने वालों की भरमार है और इनमें कोई दम नहीं है… टीम के सदस्यों का अतिवादी और उग्र रवैया अन्ना हजारे के अभियान की हवा निकाल देगा…’
शंभू दत्त ने अन्ना हजारे की इस धमकी को ‘बचकाना’ करार दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां वे कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे… इससे पहले उन्होंने कहा था कि वो कांग्रेस का विरोध नहीं करेंगे… उन्हें इंतजार कर देखना चाहिए कि केंद्र सरकार किस तरह का लोकपाल बिल संसद में पेश करती है…
दत्त के संगठन ने लोकपाल के मसले पर संसद की स्थायी समिति को ज्ञापन भी सौंपा है और जनलोकपाल बिल के कई प्रस्तावों को खारिज कर दिया है…दत्त के मुताबिक, ‘हम अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करते हैं लेकिन जन लोकपाल बिल के कुछ प्रावधानों पर हमें आपत्ति है…’
इससे पहले शंभू दत्त ने एक इंटरव्यू में अन्ना हजारे को स्वभाव से जिद्दी किस्म का इंसान बताया था…उन्होंने कहा, ‘मैं अन्ना हजारे के खिलाफ नहीं हूं…वह एक जानी मानी शख्सीयत हैं लेकिन वह जिद्दी इंसान हैं और जो उनकी बातों से सहमत नहीं होता, उसे ब्लैकमेल करने से भी नहीं हिचकिचाते हैं…’
(भास्कर की रिपोर्ट के इनपुट के साथ)
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SMILE CORNER…
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"Main Hoon Anna Hazare" nahi ab sawal hai kaun hai Anna hazare ? Anna Hazare cheez hi aisi hai k bahuton ko bha gayi… kayi deshbhakton ko toh lagne laga ki ye idea unhe kyu nahi aaya ? sirf bhookha rehne se koi itna famous kasie ho gya… Darasal Anna hazare ne deshbhakti ko itna saral kar dikhya ki log confuse ho gaye… log bhul gaye ki kitni kathin dagar hai ye… ab bacha wahi… jo hamesha hota aaya hai… bas baten !!
अपनी अपनी ढपली ,अपना अपना राग.
काजल की कोठरी में कौन रह पायेगा बेदाग़.
शम्भुदत्त जी हैं क्या अपवाद ? खुशदीप भाई.
आज तो सब को अपनी अपनी पड गई हे, लेकिन अन्ना हजारे अभी तक सही जा रहे थे, ओर इन की टीम किरण वेदी ओर अर्विंद केसरी वाल वा अन्य दो चार साथी बिलकुल सही थे… अब कल की सबर देख कर थोडा अजीब लगा, अगर यह खबर सही हुयी तो मै यही कहुंगा कि अब अन्ना की टीम मे चमचो की भरमार होगी, अरे देश मे एक अच्छे कानून के लिये लडाई हे, ओर इस लडाई मे जो चाहे आये… लेकिन कल सुना कि इस मे दलित मुस्लिम ओर पिछडे लोग शामिल होंगे… सुन कर अजीब लगा आज तक किसी ने अन्ना की जात या धर्म पुछा? अर्विंद केसरी वाल का, किरण वेदी का धर्म या जात पुछी? तो यह नयी बात क्यो? जिस मे दम हे अपना सब कुछ लूटाने का वो आओ… यह खेल नही आसान….सब नाम चाहते हे, इस मे कई तो सरकार के ही पिट्टू होंगे, इस लिये अन्ना समभल कर अलगा कदम उठाओ, किरण वेदी ओर आर्विंद केसरी वाल जैसे लोगो को हमेशा साथ ही रखे….यह दुर की सोचते हे… इन्हे सभी कानून पता हे, अगर बाबा राम देव के संग यह लोग होते तो बात कुछ ओर होती उस आंदोलन की…
अभी तो ये अंगडाई है… आगे और लडाई है….
खुशदीप भाई ,
क्या शंभूदत्त जी द्बारा ही ये जनलोकपाल बिल ड्राफ़्ट किया गया था , क्या किसी ने उन्हें कोर कमेटी में या फ़िर जनलोकपाल की लडाई लडने से रोका था , क्या मीडिया ने भी शंभूदत्त जी के योगदान को या कहें कि उनके मुद्दे पर उनकी ही उपेक्षा की ? सबसे बडी बात क्या अन्ना टीम को सौंपने के बाद से मुद्दा कमज़ोर पड गया ? प्रश्न बहुत से हैं खुशदीप भाई लेकिन दिक्कत ये है कि ..बात यहां सिर्फ़ उन मुद्दों को उठाने वालों की हो रही है , न कि मुद्दों की । और अगर सचमुच ही मुद्दा हार जाता है तो किसी भी सूरत में ये किसी भारतीय के लिए खुशी का कोई बायस नहीं हो सकता
निराशा निर्धारित करने की शीघ्रता तो नहीं कर रहें हैं हम..
अभी पिक्चर बाकी हैं दोस्त!!!
पता नहीं क्या सच है क्या झूठ.अब तो किसी पर भी यकीन नहीं होता.
हर व्यक्ति श्रेय लेने को तैयार बैठा है इसलिए मै ही ठीक हूँ अन्य गलत है, यह भाव आ गया है। जब भी कोई मुद्दा उठाया जाता है, तब यह कतई जरूरी नहीं कि उठाने वाला व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न हो। बस मुद्दा जनहित में है तो वह लागू होना चाहिए। गांधीजी क्या कम जिद्दी थे या नेहरूजी और इन्दिरा जी कम जिद्दी थे। हमारे यहाँ तो धोनी जी द्वारा नारा दिया जा रहा है कि जिद करो तभी कुछ मिलेगा। पत्रकार बिरादरी पता नहीं क्यों मुद्दें को बिसराकर केवल अन्ना टीम के पीछे पड़ी है? जनलोकपाल बिल पारित कर दो फिर अन्ना टीम को भी देश निकाला दे देना। लेकिन इस बहाने बिल के खिलाफ वातावरण तो नहीं बनाना चाहिए चाहे फिर कोई 94 वर्षीय हो या 100 वर्षीय।
ओह्ह…तो ये मामला है. मुहिम किसी की, श्रेय किसी को? अन्ना टीम पर लगने वाले आरोप निश्चित रूप से इस टीम की छवि धूमिल कर रहे हैं.