बिहार में चुनावी बहार है, नीतीश कुमार लाचार हैं!
क्या चुनाव बाद बिहार में फिर CM बन पाएंगे सुशासन बाबू?
क्या बीजेपी अस्तित्व में आने के 45 साल बाद बिहार में बना पाएगी अपना पहला मुख्यमंत्री?
-खुशदीप सहगल
नई दिल्ली (29 अगस्त 2025)|
बागों में बहार है, बिहार में नीतीश कुमार है.कभी जिसके लिए ये नारा लगा करता था, आज वही शख्स हाशिए पर नज़र आता है. बानगी है ये तस्वीर… इस तस्वीर में गौर करने वाली बात है कि नीतिश कुमार छोटी कुर्सी पर, या यूं कहें स्टूल पर बैठे हैं और उनके सामने उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी बड़ी कुर्सी यानि सिंहासन पर बैठे हुए हैं. नीतीश बिहार में लगातार 20 साल से सत्ता में हैं और राज्य का अपने लिए सबसे कठिन विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लेकिन चुनाव से पहले वो अपनी अजीबों गरीब हरकतों की वजह से चर्चा में हैं. इसको लेकर जहां उनके प्रशंसकों में बेचैनी है वहीं उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. नीतीश कुमार कभी राष्ट्रगान के वक्त बातें करने लगते हैं और कभी किसी महिला की पीठ पर जबरन हाथ रख देते हैं. कभी किसी अधिकारी के सिर पर गमला रख देते हैं. नीतीश कुमार को लेकर हाल ही में ख़बर आई कि तबीयत खराब होने की वजह से उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए.
कहने को जेडीयू और बीजेपी मिलकर इस बार का विधानसभा चुनाव भी लड़ रहे हैं. लेकिन नीतीश क्या उतने ही ताकतवर हैं जितना पिछले चुनावों में दिखा करते थे. बीजेपी भी सब देख रही है. चुनाव निपटने तक वो जेडीयू के साथ एकता दिखाए रखना चाहती है. साथ ही इस बार अगर ये गठबंधन सत्ता में आता है तो बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी में है. 1980 में बीजेपी का जन्म हुआ. तभी से 45 साल हो गए बीजेपी को बिहार में अपना मुख्यमंत्री बनने का इंतज़ार है. जेडीयू की सीटें कम आती हैं तो नीतीश कुमार पहले की तरह सौदेबाज़ी की स्थिति में भी नहीं रहेंगे जो इंडिया ब्लॉक से जाकर हाथ मिला लें. बीजेपी ऐसा दांव भी खेल सकती है जितने वाले जेडीयू विधायकों को ही अपने साथ मिला ले.
इन सब सियासी अटकलों पर हैरानी होना इसलिए भी लाज़मी है कि नीतीश कुमार ने जब कभी भी राजनीतिक समझौता किया है तो अपनी क़ीमत पर किया है। लेकिन इस बार उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर अलग अलग तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
गौर करने की बात ये है कि नीतीश कुमार की पार्टी के 12 सांसद जिनका समर्थन नरेंद्र मोदी सरकार को है। बहुमत बचाए रखने के लिए उनका समर्थन मिलते रहना ज़रूरी है. ऐसे में अभी बीजेपी के लिए नीतीश कुमार महत्वपूर्ण हैं लेकिन बिहार चुनावों के बाद नीतिश कुमार की जेडीयू से जीतकर आने वाले विधायक और जीते हुए सांसद जेडीयू में रहेंगे या नहीं यह बड़ा सवाल है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि जब कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी ने मनोहर लाल खट्टर की तारीफ करके गए थे तो हरियाणा का मुख्यमंत्री पद उनसे छीन लिया गया था। इस बार नरेंद्र मोदी जब कुछ दिन पहले बिहार आए हैं तो नीतिश जी की तारीफों के पुल बांध कर गए हैं। तो यक्ष प्रश्न ये है कि क्या अब नीतीश की छुट्टी होने की बारी है.
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