-खुशदीप सहगल
नई दिल्ली (11 जनवरी 2025)|
सुबह और शाम, काम ही काम
क्यों नहीं लेते पिया प्यार का नाम
काम से जिसको मिले ना छुट्टी
ऐसे सजना से मेरी कुट्टी, कुट्टी, कुट्टी…
1975 में आई फिल्म ‘उलझन’ में लता मंगेशकर का गाया गाना कोई सुब्रह्मण्यन जी को सुनाओ भाई. जी वही सुब्रह्मण्यन जो लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के सर्वेसर्वा यानि चेयरमैन हैं. सुब्रह्मण्यम का कहना है कि उनका बस चले तो कंपनी के वर्क फोर्स को संडे को भी काम पर बुलाएं. दरअसल कर्मचारियों से नए साल पर वीडियो इंट्रैक्शन के दौरान कंपनी के एक अफसर ने ये पूछने की हिमाकत कर डाली थी कि शनिवार को कंपनी के वर्कर्स से काम की उम्मीद क्यों की जाती है, वो भी तब जब अधिकतर कंपनियों में ‘फाइव डे ए वीक’ लागू है.
सवाल पर चेयरमैन ने जो जवाब दिया वो कर्मचारियों के लिए कुछ कुछ ऐसा ही था- “नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़ गए.”
चेयरमैन महोदय अपनी कंपनी के एम्पलॉयीज़ को हफ्ते में 90 घंटे काम करते देखना चाहते हैं. इनकी ख्वाहिश है कि कंपनी के लोग रविवार की छुट्टी के दिन भी ऑफिस आएं. सुब्रह्मण्यन की इच्छा के मुताबिक हफ्ते में कुल 168 घंटे होते हैं तो उसके आधे से भी ज़्यादा घंटे एम्पलॉयीज़ काम करते रहें. कंपनी के एक इंट्रैक्शन सेशन में अपने इस विचार को रखते हुए सुब्रह्मण्यन ने जो कहा पहले उसे जान लीजिए- “मुझे अफ़सोस है कि मैं आप लोगों से संडे को काम नहीं करा पा रहा हूं, आप लोग घर बैठकर क्या करते हो. आख़िर घर बैठ कर कितनी देर तक पत्नी को निहारोगे. या पत्नी आपको निहारेगी. इससे अच्छा है ऑफिस आओ और काम करो.”
अब सुब्रह्मण्यन साहब को कौन समझाए कि एम्पलॉयीज़ के घर में सिर्फ पत्नी ही नहीं जिसे निहारते रहने में ही संडे बिता दिया जाए. घर में और भी कई लोग हो सकते हैं, पढ़ाई करने वाले बच्चे भी और बूढ़े माता-पिता भी, जिनकी देखभाल करनी होती है, छोटे भाई बहन की ज़िम्मेदारी भी हो सकती है.
कर्मचारियों को ज्ञान पिलाने वाले सुब्रहमण्यन जी का एक और सच जान लीजिए. पिछले वित्त वर्ष यानि 2023-24 में सुब्रह्मण्यन महोदय ने अपने लिए 51 करोड़ रुपए सैलरी उठाई. ये इनकी कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतनमान से 534.57 गुणा ज़्यादा है. एल एंड टी के कर्मचारियों का पिछले वित्त वर्ष में औसत वेतन 9.55 लाख रुपए सालाना रहा. सुब्रह्मण्यन को बेस सैलरी 3.6 करोड़, भत्तों के तौर पर 1.67 करोड़, रिटायरमेंट बेनिफिट के 10.5 करोड़ और बतौर कमीशन 35.28 करोड़ रुपए मिले.
सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों को चीन के एम्पलायीज़ का एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने का हवाला दिया. सुब्रह्मण्यन ने कहा- “आपके लिए जवाब ये है कि अगर आप दुनिया में टॉप पर पहुंचना चाहते हो तो आपको हफ्ते में 90 घंटे काम करना होगा. गेट गोइंग गॉयज़, कम ऑन.”
बॉलीवुड स्टार दीपिका पादुकोण ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर सुब्रह्मण्यन के बयान को हैरान करने वाला बताया है. दीपिका ने स्टोरी में लिखा- “ये देखना काफ़ी शॉकिंग है कि इतने ऊंचे पदों पर बैठे लोग ऐसे बयान दे रहे हैं.” दीपिका ने अपनी स्टोरी में साथ ही मेंटल हेल्थ मैटर्स हैश टैग का इस्तेमाल भी किया.
दीपिका पिछले दस साल से मेंटल हेल्थ को लेकर एक्टिव हैं. 2015 में दीपिका ने डिप्रैशन से अपनी लड़ाई के बारे में खुलकर बात की थी. दीपिका ने उसी साल Live, Love, Laugh फाउंडेशन की भी शुरुआत की थी. दीपिका ने अपना रिएक्शन देकर ये कहना चाहा कि कंपनियों के ऊंचे पदों पर बैठने वालों को कर्मचारियों के मेंटल स्ट्रैस पर भी गौर करना चाहिए. वो इंसान है मशीन नहीं कि हफ्ते में 90-90 घंटे काम करने पर भी उनके सामान्य और मानसिक स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर न पड़े.
बैडमिंटन स्टार ज्वाला गुट्टा ने भी सुब्रह्मण्यन के इस बयान के लिए उन्हें जमकर आड़े हाथ लिया है. ज्वाला गुट्टा ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा- “मेरा कहना है…सबसे पहले तो उसे यानि कर्मचारी को क्यों नहीं अपनी पत्नी को निहारना चाहिए…और केवल रविवार को ही क्यों? यह दुखद और कभी-कभी अविश्वसनीय है कि ऐसे शिक्षित और बड़े संगठनों के उच्चतम पदों पर बैठे लोग मेंटली हेल्थ और मेंटली आराम को सीरियस नहीं ले रहे हैं…और इस तरह के महिला द्वेषपूर्ण बयान दे रहे हैं और खुद को इतने खुले तौर पर उजागर कर रहे हैं. यह निराशाजनक और भयावह है.
महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने एसएन सुब्रह्मण्यन के बयान पर कहा है कि काम की क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए, न कि काम की क्वांटिटी पर. विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग 2025 में बातचीत के महिंद्रा ने लंबे काम के घंटों वाली बहस पर भी अपनी राय रखी. आनंद महिंद्रा ने कहा कि अच्छे निर्णय लेने के लिए संतुलित जीवन जरूरी है. महिंद्रा ने जोर देकर कहा कि चाहे आप 10 घंटे ही काम क्यों न करें, महत्वपूर्ण है कि आपका आउटपुट क्या है. उन्होंने सवाल उठाया, ‘अगर आप 40 घंटे या 90 घंटे काम करते हैं तो भी अगर आपका काम अच्छा नहीं है, तो क्या फायदा? उन्होंने कहा,”मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि मैं सोशल मीडिया पर कितना समय बिताता हूं. मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि मैं एक्स या सोशल मीडिया पर इसलिए नहीं हूं क्योंकि मैं अकेला हूं. मेरी पत्नी बहुत अच्छी हैं, मुझे उन्हें निहारते रहना अच्छा लगता है. इसलिए, मैं यहां दोस्त बनाने नहीं आया हूं, मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि सोशल मीडिया एक अद्भुत बिजनेस टूल है.”
सुब्रह्मण्यन के बयान से मशहूर उद्यमी और आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका भी असहमत हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हर्ष गोयनका ने लिखा- “हफ्ते में 90 घंटे? संडे का नाम बदलकर ‘सन-ड्यूटी’ क्यों न कर दिया जाए और ‘छुट्टी का दिन’ एक काल्पनिक विचार क्यों न बना दिया जाए! मैं कड़ी मेहनत और समझदारी से काम करने में विश्वास करता हूं, लेकिन जीवन को एक लगातार ऑफिस शिफ्ट में बदल देना? यह बर्नआउट का नुस्खा है, सफलता का नहीं. वर्क-लाइफ बैलेंस वैकल्पिक नहीं है, यह आवश्यक है. खैर, यह मेरा विचार है! #WorkSmartNotSlave.” इस हैशटैग का मतलब है स्मार्टनेस से काम करो, गुलामों की तरह नहीं.”
शिवेसना (उद्धव ठाकरे) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है- “ये नारी-विरोधी बयान है और इसमें भारत के नए युग के गुलाम बनाने की चाहत की बू आती है.”
सुब्रह्मण्यन की सोच पर सोशल मीडिया से भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. एक्स यूज़र डॉ पूर्णिमा ने अपनी पोस्ट में लिखा- “जी-तोड़ मेहनत करने वाले लोग जो आपकी कंपनी के लिए काम करते हैं, उनके पास 7 या 8 नौकर नहीं होते जो उनके पास घर में करने लायक पेंडिंग कामों को निपटा सकें जैसे कि कपड़े धोना, कार साफ़ करना, बच्चों के डाउट दूर करना या उन्हें मूवी दिखाने ले जाना, या कपबोर्ड की सफाई या हेयर कट जैसे साधारण काम. अपने युवा कर्मचारियों को फैमिली लाइफ का आनंद भी लेने दीजिए. उन्हें रविवार को काम करने या हॉलीडे एन्जॉय करने का विकल्प दीजिए. फैमिली लाइफ और आराम का वक्त भी उतना अहम है जितना वर्क लाइफ और पैसा.”
सुब्रह्मण्यन के बयान पर बहस के बीच एल एंड टी ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है- “एल एंड टी में राष्ट्र निर्माण हमारी सोच का आधार है. आठ से भी अधिक दशकों से हम भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रीज़ और तकनीकी क्षमताओं को आकार दे रहे हैं. हमारा विश्वास है कि ये भारत का दशक है, ऐसा समय जो सामूहिक समर्पण की मांग करता है, तरक्की के लिए प्रयास मांगता है, ये समय विकसित देश बनने की हमारी साझा दूरदृष्टि को साकार करने का भी है. हमारे चेयरमैन की टिप्पमी इसी बड़ी महत्वाकांक्षा को प्रतिबिम्बित करती है, साथ ही ज़ोर देती है कि असाधारण नतीजों के लिए असाधारण कोशिशें होनी चाहिएं. एल एंड टी में हम ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां जुनून, उद्देश्य और प्रदर्शन हमें आगे ले जाएगा.” कंपनी की ओर से जारी इस बयान को भी दीपिका पादुकोण ने इंस्टाग्राम स्टोरी में शेयर करते हुए लिखा कि उन्होंने मामले को बद से बदतर बना दिया.
बता दें कि कुछ अर्सा पहले इंफोसिस के फाउंडर चेयरमैन नारायणमूर्ति ने भी चीन का हवाला देते हुए भारत में हर हफ्ते 70 घंटे काम की वकालत की थी. तब भी देश में वर्क एंड लाइफ बैलेंस पर जमकर बहस हुई थी. नारायणमूर्ति का अब भी कहना है कि वो अपनी इस राय पर कायम हैं और मरते दम तक इसे नहीं छोड़ेंगे. नवंबर 2024 में सीएनबीसी ग्लोबल लीडरशिप समिट में कहा था कि 1986 में भारत में सिक्स डे ए वीक की जगह फाइव डे ए वीक शुरू हुआ था तो वो निराश हुए थे. नारायणमूर्ति ने कहा था कि भारत के विकास के लिए त्याग की ज़रूरत है न कि आराम की.
सवाल ये कि इस तरह के बयानों के क्या मायने हैं? क्या नए भारत में वर्क फोर्स को भी मशीन बनाने की तैयारी है. 90 घंटे जैसे बयान कर्मचारियों के लिए एक तरह से अल्टीमेटम है. अल्टीमेटम इस बात का कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजैंस) के इस दौर में या तो मशीन बन जाओ या मशीनों के लिए रास्ता छोड़ दो. खुद को मानसिक रूप से 15 घंटे हर दिन काम के लिए तैयार रखो वरना छंटनी के लिए तैयार हो जाओ.
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