1983 में जो कपिल ने किया वही 2017 में हरमनप्रीत ने किया…खुशदीप

भारतीय महिला क्रिकेट में मिताली राज और झूलन गोस्वामी के नाम ही अब
तक आपने सुन रखे होंगे शायद…अब हरमनप्रीत कौर, राजेश्वरी गायकवाड़, शिखा पांडे,
सुषमा वर्मा, दीप्ति शर्मा, पूनम यादव, वेदा कृष्णमूर्ति, पूनम राउत, स्मृति
मंधाना इन नामों को भी ज़ेहन में बिठा लीजिए…जिस तरह भारत की ये शेरनियां फॉर्म
में हैं उससे मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाली 23 जुलाई के बाद इनका नाम भारत के
घर-घर में जाना जाने लगेगा…भारतीय महिला क्रिकेट टीम पहली वर्ल्ड कप जीत से अब
बस एक हाथ दूर है…रविवार को इंग्लैंड को उसी के मैदान में मात देकर भारत को
वर्ल्ड चैंपियन बनना है…

गुरुवार को मिताली राज के कुशल नेतृत्व में सेमीफाइनल मुकाबले में
भारतीय टीम ने जिस तरह डिफेंडिंग वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को अपने सामने घुटने
टिकवाए, उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है…ध्यान रहे कि इसी वर्ल्ड कप के लीग
मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 8 विकेट से परास्त कर इकतरफा जीत हासिल की
थी…भारत ने सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया को 36 रन से मात देकर उसे घर वापसी का
टिकट थमा दिया…इस जीत की सूत्रधार रहीं पंजाब की दिलेर कुड़ी हरमनप्रीत कौर…भारत
ने इस मैच में अपनी पारी में कुल 281 रन बनाए जिसमें से अकेली हरमनप्रीत कौर ने
115 गेंद में 171 रन नॉट आउट जड़ डाले…20 चौक्के और 7 छक्के लगाकर हरमनप्रीत ने
ऑस्ट्रेलिया की बोलिंग का कचूमर निकाल दिया…

फोटोृृ- हरमनप्रीत कौर की फेसबुक वॉल से साभार


हरमनप्रीत कौर ने लगभग वैसा ही कारनामा किया जैसा कि 1983 में कपिलदेव
ने ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ 175 रन ठोंक कर किया था…कपिल पाजी की वो पारी भारतीय
पुरुष क्रिकेट के लिए डिफाइनिंग मोमेंट थी…तो 
गुरुवार को हरमनप्रीत कौर की आतिशी पारी भारतीय महिला क्रिकेट के लिए टर्निंग
प्वाइंट साबित होगी…इस मैच में भारतीय बैटिंग में हरमन का साथ जहां
कप्तान मिताली राज ने 36 रन बना कर दिया…वहीं बोलिंग में दीप्ति शर्मा, शिखा
पांडे और वेटरन झूलन गोस्वामी के सामने ऑस्ट्रेलिया की नामी बैट्सवूमेन की एक नहीं
चली…

उम्मीद है कि जिस तरह विराट कोहली, एम एस धोनी, युवराज, शिखर धवन,
रोहित शर्मा, भुवनेश्वर, रविंद्र जडेजा, हार्दिक पांड्या का नाम देश का बच्चा
बच्चा जानता है, वैसे ही अब भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्यों के साथ भी
होगा…इन महिला खिलाड़ियों की भी ब्रैंड एंडोर्समेंट में वैसे ही पूछ होगी जैसी
कि पुरुष क्रिकेटर्स की होती है…भारतीय महिला टीम की वर्ल्ड कप जीत देश में और
बच्चियों को भी क्रिकेट या अन्य खेलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेंगी…अगर
किसी कारण ये टीम वर्ल्ड कप नहीं भी जीतती तो भी इन्होंने फाइनल में पहुंच कर
इतिहास तो रच ही दिया है…इसलिए इनकी घर वापसी पर भी वैसा ही जश्न होना चाहिए
जैसा कि पुरुष क्रिकेट टीम का जीत के बाद होता है…

वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के इस दमदार प्रदर्शन के लिए कप्तान मिताली
राज की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है…मिताली के लिए तो वैसे भी ये टूर्नामेंट
जीवन भर के लिए यादगार रहेगा…इसी वर्ल्ड कप में मिताली ने पहले इंग्लैंड की
शॉर्ले एडवर्डस के सबसे ज्यादा 5992 रन का वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा फिर वो 6000 रन का
माइलस्टोन पार करने वाली भी दुनिया की पहली क्रिकेटर बन गईं…


दिग्गज ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेमीफाइनल मैच में जिस तरह मिताली ने शानदार
कप्तानी की वो भी देखने लायक थी…बस अब देश में सब दुआ कीजिए कि 23 जुलाई को लॉर्ड्स
क्रिकेट ग्राउंड में भारत की लाडलियों के हाथों में वर्ल्ड कप की चमचमाती ट्रॉफी
के साथ वैसे ही तिरंगा आसमान पर लहराता दिखे जैसा कि 25 जून 1983 को
कपिल डेविल्स
ने कर दिखाया था…


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