बताते हैं कि पुराने ज़माने में हिंदुस्तान में किसी ने चाय का नाम तक नहीं सुना था…ईस्ट इंडिया कंपनी आई…अंग्रेज़ आए…लोगों को सड़कों-चौराहों-नुक्कड़ पर मुफ्त में जग भर भर के चाय पिलाई जाने लगी…खालिस दूध पीने वाले हिंदुस्तानियों को चाय का ऐसा चस्का लगा कि आज अधिकतम घरों में सुबह की शुरुआत चाय की प्याली से ही होती है…विरले ही हैं जो देश में खुद को चाय की च्यास से बचाए हुए हैं…
आप कहेंगे चाय का ब्लॉगिंग से क्या लेना-देना…है भईया, बहुत कुछ है….वही तो बताने जा रहा हूं इस पोस्ट में… मैंने ब्लॉगवाणी पर घूमते हुए दो बड़ी ही खुशफहमी वाली पोस्ट देखीं…इनमें लिखा था हिंदी के लिए गूगल फिर एड देना शुरू करने जा रहा है…अगर हक़ीक़त में ऐसा है तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है…लेकिन मुझे इस ख़बर से ज़्यादा अहम वो ख़बर लग रही है जो इसी हफ्ते चीन से आई है…गूगल इंक ने पिछले सोमवार को चीन में सर्च इंजन ऑपरेशन की सुविधा देनी बंद कर दी है…अब चीन में कोई सर्च पर जाता है तो उसे हांगकांग के सर्वर पर अन्सैन्सर्ड रिज़ल्ट्स की तरफ री-डायरेक्ट कर दिया जाता है…अब यहां आप खुद सोच कर देखिए कि किसी दिन भारत में भी ऐसा ही हो गया तो आप भी बस गूगल सर्च पर ढूंढते ही रह जाओगे, हाथ कुछ भी नहीं आएगा…
गूगल की ओर से लिए गए इस अभूतपूर्व फैसले पर कंपनी का कहना है कि दो महीने पहले ही इस बारे में आगाह कर दिया गया था…गूगल का ये भी आरोप है कि चीन में उसकी सेवाओं को सुनियोजित तरीके से साइबर अटैक का निशाना बनाया जा रहा था…गूगल ने ये तर्क भी दिया है कि चीन सरकार का उस पर दबाव था कि वो अपनी तरफ से ही साइट्स की मॉनिटरिंग करते हुए सेल्फ-सेंसरशिप लागू करे…अर्थात गूगल ने काम बंद करना मंज़ूर किया लेकिन झुकना नहीं…
गूगल अब चीन के सब्सक्राइबर्स को हांगकांग रूट के ज़रिए अन्सेन्सर्ड सर्च देने की कोशिश कर रहा है…यानि अब चीन के पाठक थ्यान आन मन चौक, तिब्बत और दलाई लामा से जुड़े विवादित मुद्दों तक भी पहुंच बना सकते हैं…लेकिन इस मामले में चीन गूगल से भी एक कदम आगे है…चीन ने ग्रेट फायरवाल सर्विस के ज़रिए हांगकांग सर्च रूट को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया है…अब चीन के 40 करोड़ वेब यूज़र्स पर क्या बीत रही होगी, आप इसका खुद ही अंदाज़ लगा सकते हैं…
खुदा न खास्ता कभी भारत में भी ऐसा होता है तो सभी ब्लॉगर्स बेभाव किनारे लग जाएंगे…मुझे जहां तक उपाय नज़र आ रहा है, सबसे पहले हमें अपनी खुद की वेबसाइट बनानी चाहिए…मैंने तो देशनामा.कॉम बना ली है…जल्दी ही उस पर शिफ्ट कर जाऊंगा…आप सबको भी मेरी यही राय है, बाकी आप अपना फैसला अच्छी तरह ले सकते हैं…मैं समझता हूं इस काम में अवधिया जी, पाबला जी और कनिष्क कश्यप से मदद ली जा सकती है…मैं तो अवधिया जी से अपील करता हूं कि जिस तरह समर्पित भाव से वो ब्लॉगिंग की आराधना करते हैं, वो अगर फुल टाइम ब्लॉगर्स की इस काम में मदद करें तो सभी का बेड़ा पार हो जाए…सब की वेबसाइट बन जाए तो सरकार, कारपोरेट या अन्य स्रोतों से एड की संभावनाएं तलाशी जाएं..
जहां तक मेरी जानकारी है, अपना वेबसाइट बनाने के लिये निम्न बातें जरूरी हैं…
1. डोमेननेम रजिस्टर करानाः रजिस्ट्रेशन एक साल तक के लिये ही है… प्रतिवर्ष नवीनीकरण कराना पड़ता है…एक से अधिक वर्षों के लिये भी रजिस्टर कराया जा सकता है…
2. वेब होस्टिंग लेनाः प्रति माह होस्टिंग का किराया देना पड़ता है… किराये की राशि अलग अलग प्लान के अनुसार अलग अलग होती है जो कि कम से कम प्रतिमाह होती है…इससे कम किराये में भी होस्टिंग मिल सकती है किन्तु उनके कन्ट्रोल पैनल में वांछित सुविधाएँ कम होती हैं…
3. अपने डोमेननेम को अपने वेबहोस्टिंग में लाना…
4. अपना ब्लॉग बनाने के लिये वर्डप्रेस को इंस्टाल करना…
5. वर्डप्रेस को हिन्दी के लिये कॉन्फिगर करना…
6. वर्डप्रेस में मनपसंद टेम्प्लेट डालना…
7. आवश्यक प्लगिन्स को वर्डप्रेस में डालना…
8. ब्लॉग लिखना आरम्भ कर देना…
आशा है इस विषय पर और सुधि ब्लॉगर्स भी अपनी राय लिखें, जिससे सब एक दूसरे के अनुभवों से सीखते हुए आगे के रास्ते पर सतर्कता के साथ बढ़ सकें…
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