एक मां अपने बेटे से अक्सर पूछा करती थी कि शरीर का सबसे अहम हिस्सा कौन सा है…
बेटा सालों तक अनुमान लगाता रहा कि इस सवाल का सही जवाब क्या हो सकता है…
बच्चा छोटा था तो उसने सोचा आवाज़ इनसानों के लिए बहुत अहम होती है…सो उसने मां को जवाब दिया…मॉम, कान सबसे अहम हैं…
मां ने प्यार से जवाब दिया…नहीं, बेटे कान नहीं…कई लोग ऐसे भी होते हैं जो सुन नहीं सकते…लेकिन तुम जवाब ढूंढने की कोशिश करते रहो…मैं तुमसे फिर पूछूंगी…
कुछ साल और बीत गए…मां ने फिर एक दिन बेटे से वही सवाल पूछा…
बेटा जानता था कि पहले वो गलत जवाब दे चुका है…इसलिए इस बार उसने पूरा सोच-समझ कर जवाब दिया..मॉम, नज़र हर इंसान के लिए बड़ी अहम होती हैं, इसलिए जवाब निश्चित तौर पर आंखें होना चाहिए…
मां ने ये सुनकर कहा, तुम तेज़ी से सीख रहे हो…पर ये जवाब भी सही नहीं है क्योंकि दुनिया में कई लोग ऐसे भी होते हैं जो आंखों की रौशनी से महरूम होते हैं…
जब भी मां बेटे के जवाब को गलत बताती, बेटे की सही जवाब जानने की इच्छा और प्रबल हो जाती…दो-तीन बार मां ने फिर वही सवाल बेटे से पूछा लेकिन हर बार बेटे के जवाब को गलत बताया…लेकिन मां ये कहना नहीं भूलती थी कि बेटा पहले से ज़्यादा समझदार होता जा रहा है…
फिर एक दिन घर में बेटे के दादा की मौत हो गई…हर कोई बड़ा दुखी था…बेटे के पिता भी रो रहे थे…बेटे ने पिता को पहले कभी रोते नहीं देखा था…
जब दादा को अंतिम विदाई देने का वक्त आया तो मां ने बेटे से धीरे से पूछा…अब भी तुम्हे पता चला कि शरीर का कौन सा हिस्सा सबसे अहम हैं…
ये सुनकर बेटा हैरान हुआ…मां ऐसी घड़ी में ये सवाल क्यों कर रही है…बेटा यही समझता था कि मां का उससे ये सवाल पूछते रहना किसी खेल सरीखा है…
मां ने बेटे के चेहरे पर असमंजस के भाव को पढ़ लिया…फिर बोली…ये सवाल बड़ा अहम है…इससे पता चलता है कि तुम अपनी ही ज़िंदगी जीते रहे हो…तुमने शरीर के जिस हिस्से को भी जवाब बताया, मैंने उसे गलत बताया…साथ ही इसके लिए मिसाल भी दी…लेकिन आज तुम्हारे लिए जीवन का ये अहम पाठ सीखना बेहद ज़रूरी है…
फिर मां ने आंखों में पूरा ममत्व बिखेरते हुए बेटे की तरफ देखा…मां की आंखों में आंसू साफ झलक रहे थे…मां ने कहा…मेरे बच्चे, शरीर का सबसे अहम हिस्सा तुम्हारा कंधा है…
बेटे ने सवाल की मुद्रा में कहा…इसलिए क्योंकि ये मेरे सिर को सहारा देता है…
मां ने जवाब दिया- नहीं, कंधा सबसे अहम इसलिए है क्योंकि जब तुम्हारा दोस्त या कोई अज़ीज़ रोता है तो ये उसे सहारा देता है…हर किसी को ज़िंदगी में कभी न कभी रोने के लिए किसी के कंधे की ज़रूरत होती है…बच्चे, मैं सिर्फ दुआ करती हूं कि तुम्हारे साथ कोई न कोई ऐसे दोस्त और अज़ीज़ हमेशा साथ रहें, जो तुम्हें ज़रूरत पड़ने पर रोने के लिए अपने कंधे का सहारा दे सकें…
इसके बाद बेटे को पता चल गया कि शरीर का ऐसा कोई हिस्सा सबसे अहम नहीं हो सकता जो सिर्फ अपनी ज़रूरत को ही पूरा करता हो…ये दूसरों को सहारा देने के लिए बना होता है…ये दूसरे के दर्द में हमदर्द होता है…
लोग भूल जाएंगे कि तुमने क्या कहा, वो भूल जाएंगे कि तुमने क्या किया…लेकिन लोग ये कभी नहीं भूलेंगे कि तुमने उनके दर्द में उन्हें कैसा महसूस कराया था…
स्लॉग चिंतन
अच्छे दोस्त सितारों की तरह होते हैं…ज़रूरी नहीं कि वो हमेशा आपको दिखते रहें…लेकिन आप जानते हैं कि वो कहीं न कहीं मौजूद हैं…
(ई-मेल से अनुवाद)
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