मक्खन के साथ बड़ी बुरी बीत रही है…मक्खन की बेबे (मां) गुम हो गई है…स्लॉग ओवर में उसकी कहानी बताऊंगा…लेकिन पहले बात गन्ने की…गन्ने का नाम लेते ही हमारा मुंह मीठा हो जाता है…लेकिन आज इसी गन्ने की कीमत मुंह पर लाते ही किसान के मुंह कुनैन क्यों घुल रही है…
आज दिल्ली में हज़ारों-हज़ारों किसानों के इसी दर्द को आवाज़ देने के लिए विपक्ष के नेता अपने सारे मतभेद भुला कर कंधे से कंधा मिलाते नज़र आए…विपक्ष की ऐसी एकजुटता बरसों बाद देखने को मिली…आप कहेंगे मैं ये कौन सा मुद्दा आज ले बैठा…लेकिन सच पूछिए तो ये हम सबसे जुड़ा मुद्दा है…
आज चीनी बाज़ार में 45 रुपये किलो मिल रही है…लेकिन केंद्र सरकार ने गन्ने की वसूली कीमत तय की है 129 रुपये 84 पैसे प्रति क्विंटल…यानि करीब 1 रुपये 30 पैसे प्रति किलो…एक अनुमान के मुताबिक दस किलो गन्ने से एक किलो चीनी बनती है…इस हिसाब से एक किलो चीनी के लिए ज़रूरी गन्ने के लिए किसान को 13 रुपये ही मिले…और बाजार में चीनी 32 रुपये ज़्यादा 45 रुपये किलो मिल रही है…ये 32 रुपये किसकी जेब में जाते है….मान लीजिए चीनी को बनाने की लागत पर भी कुछ रकम खर्च होती होगी…लेकिन ये रकम इतनी ज़्यादा होती है कि किसान को मिलने वाले मूल्य से लेकर चीनी बाज़ार तक आते-आते साढ़े तीन गुना महंगी हो जाती है…ज़ाहिर है इस कीमत में बाज़ार का मोटा मुनाफा भी जुड़ा है…
रही बात किसान की तो वो पहले फसल को उगाने के लिए खेत में पसीना बहाता है…फसल तैयार हो जाती है तो उसकी वाजिब कीमत के लिए सड़क पर नारे लगाने में पसीना बहाता है…यहां ये बताना भी ज़रूरी है जहां किसान संगठित है वहां उसे अपने गन्ने की अच्छी कीमत मिल जाती है…जैसे यूपी सरकार ने गन्ने का मूल्य 165-170 रुपये प्रति क्विंटल तय करने के साथ 20 रुपये प्रति क्विंटल बोनस का भी ऐलान किया है…पंजाब और हरियाणा में भी गन्ने की सरकारी कीमत 180 रुपये प्रति क्विंटल रखी गई है…लेकिन देश के दूसरे गन्ना उत्पादक राज्यों में गन्ने की कीमत कमोबेश वही है जो केंद्र सरकार ने पिराई के इस सीजन के लिए तय की है…यानि 129 रुपये 84 पैसे…
जाहिर है किसान की इस ताकत को भुनाने के लिए नेता भी पीछे नहीं रहते…पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सांसद पुत्र अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल की तो पूरी राजनीति ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट पर ही टिकी हुई है…किसान के दर्द में नेताओं को चुनावी फायदे के लिए वोटों का टानिक नजर आता है…सोचना हमें है… हम 45 रुपये किलो चीनी खरीद रहे हैं लेकिन जो बेचारा किसान इसके लिए गन्ना उगाता है…उसकी जेब में क्या जा रहा है…वो फटेहाल क्यों हैं…महंगाई हमारे लिए इतनी ज़्यादा है तो देश के अन्नदाता किसान को गुज़र बसर करना कितना मुश्किल हो रहा होगा…इसका जवाब सरकार के पास होना चाहिए…लेकिन जो जाग कर भी सोने का बहाना करे, उसे कौन जगा सकता है…
स्लॉग ओवर
मक्खन की बेबे (मां) की मौत हो गई…भाईया जी (पिता) पहले ही दुनिया छोड़ कर जा चुके थे…मक्खन का बेबे से बड़ा जुड़ाव था…बेबे के बिना उसे दुनिया ही बेकार लगने लगी…अपने में ही गुमसुम रहने लगा…इसी तरह एक साल बीत गया…मक्खन के जिगरी ढक्कन से मक्खन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी…लेकिन करे तो करे भी क्या…
तभी उसे किसी ने बताया कि शहर में कोई सयाना आया हुआ है…ढक्कन ने सोचा मक्खन को सयाने जी के पास ही ले जाता हूं…शायद वो ही उसे ठीक कर दें…मक्खन ने सयाने को अपना दर्द बताया…सयाना भी पहुंची हुई चीज़ था…उसने मक्खन को ठीक करने के लिए एक तरकीब सोची…उसने मक्खन से कहा…बच्चा, तेरी बेबे से पिछले जन्म में अनजाने में कोई बड़ी भूल हो गई थी…इसलिए ऊपर वाले ने बेबे को सजा के तौर पर इस जन्म में श्वान (कुत्ती) बना कर भेज दिया है…लेकिन जल्द ही तेरी बेबे से मुलाकात होगी…इसलिए परेशान मत हो...मक्खन सुन कर मायूस तो बड़ा हुआ लेकिन बेबे से जल्द मिलने की सोच कर ही थोड़ी तसल्ली हुई…बाहर निकले तो ढक्कन उसे खुश करने के लिए जलेबी की दुकान पर ले गया…दोनों जलेबी खा ही रहे थे कि एक कुत्ती वहां आ गई… और जलेबी के लालच में मक्खन को देख कर ज़ोर ज़ोर से पूंछ हिलाने लगी…मक्खन का कुत्ती को देखकर माथा टनका…सयाने जी के बेबे के बारे में बताए शब्द उसके कानों में गूंजने लगे…मक्खन ने जलेबी का एक टुकड़ा डाल दिया…कुत्ती ने झट से टुकड़ा चट कर लिया…और उचक-उचक कर मक्खन की टांगों पर पंजे मारने लगी…मक्खन ने सोचा हो न हो…ये मेरी बेबे ही लगती है…
मक्खन घर की ओर चला तो कुत्ती जी (सॉरी…बेबे) पीछे पीछे…मक्खन का भी मातृसेवा का भाव अब तक पूरी तरह जाग चुका था…बेबे को साथ लेकर ही मक्खन अपने घर में दाखिल हुआ और मक्खनी को आवाज़ दी…सुन ले भई…तूने बेबे को पहले बड़ा दुख दिया था…लेकिन इस बार बेबे जी को कोई तकलीफ हुई तो तेरी खैर नहीं…मक्खनी भी मक्खन के गुस्से की सोच कर डर गई…लो जी बेबे जी की तो अब मौज आ गई…कहां गली-गली नालियों में मुंह मारते फिरना…और कहां एसी वाला बढ़िया बेडरूम…बेबे जी के लिए बढ़िया बेड बिछ गया…बेड पर पसरे रहते और बढ़िया से बढ़िया खाना वहीं आ जाता…
मक्खन भी काम पर आते-जाते बेबे जी के कमरे में जाकर मिलना नहीं भूलता…एक दिन मक्खन काम से घर वापस आया तो आदत के मुताबिक बेबे जी के कमरे में गया…लेकिन ये क्या…बेड पर उसे बेबे जी नहीं दिखे….ये देखते ही मक्खन का पारा सातवें आसमान पर…चिल्ला कर मक्खनी को आवाज़ दी….बेबे जी कहां हैं…तूने फिर कोई उलटी सीधी हरकत की होगी…और वो नाराज़ होकर चली गई होंगी…इस पर मक्खनी ने कहा….नाराज़ न होओ जी…ओ आज शामी बेबे जी नू घुमाण लई भाईया जी आ गए सी, ओन्हा नाल ही सैर ते गए ने…(आज शाम को बेबे जी को घुमाने के लिए भाईया जी आ गए थे…उन्हीं के साथ सैर पर गई हैं…)
- दुबई में 20,000 करोड़ के मालिक से सानिया मिर्ज़ा के कनेक्शन का सच! - February 4, 2025
- कौन हैं पूनम गुप्ता, जिनकी राष्ट्रपति भवन में होगी शादी - February 3, 2025
- U’DID’IT: किस कंट्रोवर्सी में क्या सारा दोष उदित नारायण का? - February 1, 2025