पुरुष नर्स को नर्सा क्यों नहीं कहते…खुशदीप

जी हां, कल डॉक्टर अरविंद मिश्र की पोस्ट बड़ी चर्चित रही….जैसे अदाकारा ,शायरा वैसे ब्लागरा/चिट्ठाकारा क्यों नहीं?...ब्लॉगर बिरादरी ने खुल कर इस पर अपनी राय रखी…डॉक्टर साहब के मुताबिक एक मोहतरमा ने उनसे ये सवाल पूछा था…न जाने क्यों मोहतरमा के इस सवाल में मुझे गंभीरता कम मौज ज़्यादा दिखाई दी…अब कोई इन मोहतरमा से ही पूछे…उर्दू में महिला को सम्मान देना हो तो मोहतरमा कहते हैं, इसी तरह पुरुष को जनाब कहा जाता है…अब कोई ये सवाल करने लगे जिस तरह मोहतरमा होता है, उस तरह पुरुष को मोहतर क्यों नहीं कहा जाता….मोहतर…सुनने में ही कितना बुरा लगता है…

मोहतर भी छोड़िए, नर्स का काम आजकल पुरुष भी करते हैं…तो क्या उन्हें नर्सा कहना शुरू कर दिया जाएं…आप कहेंगे… आ की मात्रा तो स्त्रीलिंग के साथ ज़्यादातर लगाई जाती है…बकौल मोहतरमा जैसे अदाकारा, शायरा, ब्लॉगरा, चिट्ठाकारा….इस लिहाज से नर्सिंग का काम करने वाले पुरुष को नर्स और महिला को नर्सा कहना चाहिए…खैर, ये तो निश्चित है कि जिसे भी नर्सा कहा जाएगा, उसे बुरा ही लगेगा…

अब हमारे डॉ अरविंद मिश्र जी हैं सीधे इंसान…इसलिए मोहतरमा के चक्कर में पड़ गए…और अदाकारा, शायरा का हवाला देकर ब्लॉगरा, चिट्ठाकारा का सवाल पूछ बैठे…शायरा कहते हैं या नहीं ये तो शायर ही बता सकते हैं…जहां तक अदाकारा का सवाल है तो अंग्रेज़ी में भी आजकल महिला और पुरुष के लिए एक ही शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा है और वो है एक्टर…हमने भी पुरुष अदाकार के लिए एक्टर और महिला अदाकार के लिए एक्ट्रैस शब्द पढ़े थे ….लेकिन नए ज़माने में ये भेद मिट गया है…सब बराबर यानि एक्टर सिर्फ एक्टर…एक्टर ही क्यों…फिल्म निर्देशक भी पुरुष हो या महिला, निर्देशक ही रहता है निर्देशिका नहीं बन जाता…अंग्रेज़ी में भी निर्देशक के लिए एक ही शब्द है- डायरेक्टर….महिला निर्देशकों के लिए डायरेक्ट्रेस नहीं बन जाता…

आपने प्रचलन में तो ये भी देखा होगा…खन्ना की पत्नी को खन्नी, शर्मा की पत्नी को शर्मी कह कर भी बुलाया जाता है…अब ज़रा चड्डा, गुप्ता, मेहरा की पत्नियों को भी इस तरह बुला कर देखिए…क्या निकल कर आता है….भला कोई अपने लिए पसंद करेगा इस तरह के संबोधन को…मैंने डॉक्टर साहब को उनकी पोस्ट पर जो टिप्पणी भेजी थी वहीं यहां दोहरा रहा हूं…

डॉक्टर साहब,
जहां तक मैं जानता हूं अदाकारा, शायरा जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल गलत है…महिलाएं भी अदाकार और शायर ही होती हैं….प्रचलन में शिक्षिका, अध्यापिका भी कह दिया जाता है, वो भी गलत है…महिला विधायक को अगर विधायिका कहा जाए तो उसका बिल्कुल अलग ही मतलब है…बाकी अजित वडनेरकर जी की बात को इस विषय पर अंतिम माना जाना चाहिए…

जय हिंद…

शब्दों के असली विद्वान अजित वडनेरकर जी हैं…मैं कल डॉक्टर साहब की पोस्ट पर  अजित जी को ही ढूंढता रहा…लेकिन उनकी टिप्पणी नहीं मिली…मैं मानता हूं, इस विषय पर भी वो दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगे…आखिर में एक बार फिर कहना चाहूंगा…जो जैसा है, वैसा ही रहने दो…अध्यापक, शिक्षक, विधायक शब्दों को जिस तरह महिला के लिए बिगाड़ दिया जाता है…वैसा ही अनर्थ ब्लॉगर शब्द के साथ न किया जाए…

बाकी जो ब्लॉगिंग के सर्व-परमेश्वरों की राय…

नोट- आज मुझे रुचिका गिरहोत्रा केस में हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को सुनाई गई छह महीने की मामूली सज़ा पर गंभीर बातें आपके साथ बांटनी थी लेकिन ब्लॉगर-ब्लॉगरा के चक्कर में ऐसा उलझा कि वो पोस्ट कल तक के लिए टालनी पड़ गई….धन्य हो मोहतरमा…

स्लॉग ओवर

गुल्ली स्कूल से आकर मक्खन से बोला….डैडी जी, डैडी जी स्कूल वाले स्विमिंग पूल के लिए डोनेशन मांग रहे हैं…सुबह क्या ले जाऊं…

मक्खन…डोनेशन देना ज़रूरी है तो एक लोटा पानी ले जाना…
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  आज मेरे अंग्रेज़ी ब्लॉग Mr Laughter  पर है…

छुट्टी के लिए शमशान जाकर वापस न आना….
बीमार हूं… पूरे संस्थान की आज छुट्टी करो…
सिरदर्द देने वाला स्कूल…
सिरदर्द भी दुखता है…

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