राम रहीम के आगे सब कुछ बौना क्यों…खुशदीप


देश में एक शख्स कितना ताकतवर हो सकता है ये डेरा सच्चा सौदा
प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह ने दिखा दिया है…राम रहीम पर यौन उत्पीड़न के आरोप
से जुड़े मामले में सीबीआई की विशेष अदालत को शुक्रवार को फैसला सुनाना है…इसको
लेकर हरियाणा और पंजाब में जो हालात बने हैं, उसी पर
आज तक
फेसबुक लाइव डिबेट
में मैंने
भी हिस्सा लिया…इसका वीडियो आप इस लिंक पर देख सकते हैं…

लौटते हैं राम रहीम पर…कहने को देश में क़ानून का शासन
है…कोई भी व्यक्ति देश के संविधान और क़ानून से ऊपर नहीं है…राम रहीम अपने
स्टाइल के सिनेमा में बड़े पर्दे पर खुद को रक्षक के तौर पर दिखाते हैं…
हिंद का
नापाक को जवाब
में
भारतीय सीक्रेट एजेंट बनते हैं…लेकिन विडंबना देखिए इन्हीं राम रहीम पर स्थिति
को काबू में रखने के लिए शासन को खुद फौज का सहारा लेना पड़ रहा है…राम रहीम के
अनुयायियों ने पूरी व्यवस्था को पंगु बना कर रख दिया है…

सवाल ये उठता है कि कोई शख्स इतना आदमकद कैसे हो सकता है कि बाकी
सब कुछ उसके सामने बौना नज़र आने लगा…ये देश के संविधान, क़ानून, सरकारी मशीनरी
सभी के लिए चुनौती है…ये अदालत का काम है कि वो राम रहीम से जुड़े इस मामले में
क्या फैसला सुनाती है…जो भी फैसला सुनाया जाए उस पर पालन कराना पुलिस, प्रशासन
की संवैधानिक ड्यूटी है…अगर वो इसमें विफल रहती है तो ये सीधे शासन की नाकामी
होगी…हरियाणा में बीजेपी सरकार के लिए ये बड़ी अग्निपरीक्षा के समान है…पंजाब
में कांग्रेस सरकार को भी फूंक-फूंक कर कदम उठाने होगे…

डेरा सच्चा सौदा के 5 करोड़ समर्थक बताए जाते हैं…डेरा
प्रमुख राम रहीम पर विशेष अदालत के फैसला सुनाने से पहले ही उनके अनुयायी इतनी
बड़ी संख्या में पंचकूला पहुंच गए हैं कि पुलिस, प्रशासन और शासन सभी की नाक में
दम हो गया है…बताया जा रहा है कि गुरुवार रात से ही पंचकूला शहर को आर्मी के
हवाले कर दिया गया है…सिरसा, जहां डेरा सच्चा सौदा का हेडक्वार्टर है वहां
गुरुवार रात 10 बजे के बाद कर्प्यू लगाए जाने की ख़बर है…

हरियाणा-पंजाब में बस सेवाएं, ट्रेन सेवाएं ठप…चंडीगढ़ से
दिल्ली की फ्लाइट की टिकट की कीमत 20,000 रुपए पार कर चुकी हैं…25 अगस्त को
चंडीगढ़, पंचकूला समेत कई शहरों में स्कूल, कॉलेज, कारोबार ठप रहेंगे…पंजाब,
हरियाणा और चंडीगढ़ में 72 घंटे के लिए मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी स्थगित किए
जाने के समाचार हैं…पंजाब सरकार ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में सभी सरकारी
कार्यालयों में अवकाश का ऐलान किया है…

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट सवाल कर रहा है कि आखिर कैसे राम
रहीम के अनुयायियों के इतनी बड़ी संख्या में एकत्र होने की स्थिति बनने दी
गई…धारा 144 के बावजूद राम रहीम के 6-7 लाख अनुयायियों का कैसे जमावड़ा होने
दिया गया…हाईकोर्ट ने ये सवाल भी किया है कि क्यों ना हरियाणा के डीजीपी को
सस्पेंड कर दिया जाए…

हरियाणा के ही हिसार जिले में सतलोक आश्रम वाले रामपाल की
गिरफ्तारी के समय नवंबर 2014 में कैसा उत्पात हुआ था, अब भी सब के जेहन में ताजा
है…रामपाल के मुकाबले राम रहीम के अनुयायियों का आधार बहुत बड़ा और व्यापक तौर
पर फैला हुआ है…

राम रहीम को लेकर कानून व्यवस्था से अलग हट कर ये विश्लेषण भी
करना जरूरी है कि किन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात ने उन्हें और उनके डेरे
को इतना मजबूत बनाया…दरअसल ऐसे कई छोटे-बड़े डेरे पंजाब या उसी की सीमा से सटे
हरियाणा के इलाकों में मौजूद हैं…पंजाब ऐसा राज्य है जहां आबादी की आनुपातिक
दृष्टि से दलितों की संख्या देश में सबसे ज्यादा है…

दलितों के मसीहा कहे जाने
वाले दिवंगत नेता कांशीराम की जन्मभूमि भी पंजाब ही है…पंजाब में ऊंची जाति,
विशेष कर जाट सिखों का राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से हमेशा दबदबा रहा
है…ऐसे में मजहबी सिख जैसे दलित खुद को उपेक्षित और हाशिए पर समझते रहे
हैं…ऐसे ही लोग बड़ी संख्या में डेरों या राम रहीम जैसे बाबाओं के साथ जुड़ते
हैं…डेरों से संरक्षण मिलने पर ये खुद को सुरक्षित समझते हैं…मुख्य धारा में सामाजिक
मान्यता ना मिलने की वजह से आहत ये लोग डेरों में सामूहिक तौर पर जुट कर बड़ी राहत
महसूस करते हैं…ये डेरा प्रमुख के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार हो जाते
हैं…चुनाव में वोट किसे देना है, डेरा प्रमुख जिस पार्टी को कहते हैं, अनुयायी
आंख मूंद कर उसके चुनाव निशान पर ही बटन दबा देते हैं…

यही वजह है कि पंजाब और
हरियाणा में चुनाव विधानसभा के हों या लोकसभा के, हर पार्टी, हर नेता डेरे के आगे
नतमस्तक नजर आता है…यानि ऐसे बाबाओं को फलने फूलने के लिए खाद पानी राजनीति ही
मुहैया कराती है…अब ये बात अलग है कि इन बाबाओं के
लार्जर दैन
लाइफ
हो जाने पर
उन पर कंट्रोल करना राजनीतिक पार्टियों की सरकारों के लिए ही टेढ़ी खीर बन जाता
है…

इसे कुछ ऐसे समझा जा सकता है कि जिन जब तक बोतल में रहे तभी तक
काबू में रहता है…लेकिन बोतल के बाहर आते ही उस पर नियंत्रण रखना नामुमकिन हो
जाता है…

#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Khushdeep Sehgal
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संजय भास्‍कर

दुखद

Udan Tashtari
8 years ago

दुखद एवं अप्फ़सोसजनक स्थितियाँ है

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’गणेश चतुर्थी और ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है…. आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी….. आभार…

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-08-2017) को "क्रोध को दुश्मन मत बनाओ" (चर्चा अंक 2708) पर भी होगी।

सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर…!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }

इन बाबाओं को हम और आप भी मज़बूत करते है क्या ज़रूरी है इतनी मीडिया हाइप का।
पर जब तक नेता इनकी चौखट चूमना बंद नही करेंगे तब तक यह अराजक होते रहेंगे

Abhijat Shekhar Jha
8 years ago

यही तो दिक्कत है सर, कि लोग आंख मूंदकर भरोसा करते हैं. और उनके पैसों पर ऐसे बाबा अय्यासी करते हैं.

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