फिजिक्स का सिद्धांत है कि रबर की गेंद को जितना पटक कर ज़मीन पर मारोगे, उतना ही वो आपके सिर पर चढ़ कर नाचेगी…अगर गेंद को यूहीं ज़मीन पर लुढ़का दो तो वो वही पड़ी रहेगी…लेकिन आजकल ब्लॉग-जगत पर क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम पूरे उफ़ान पर है…पलीता लगाने वाले भी हरदम मौके की तलाश में बैठे हैं…आग को भड़का कर उस पर हाथ सेंकना इनका शगल है…ये लोग मोबाइल, ई-मेल, चैटिंग जैसे माध्यमों से नारदमुनि की भूमिका निभाने में पारगंत होते हैं…कान के कच्चे लोगों को ये इस तरह पेड़ पर चढ़ाते हैं कि बेचारे को उतरने का रास्ता ही नहीं सूझता…
कुछ और तरह के भी कलाकार हैं…ये बिना बुलाए मेहमानों की तरह कहीं भी प्रगट होकर समर्थन देना शुरू कर देते हैं…ठीक वैसे ही जैसे समाजवादी पार्टी और बीएसपी केंद्र में यूपीए सरकार को समर्थन देती रहती हैं…ये समर्थन के नाम पर ऐसा गड्ढा खोदते हैं कि समर्थन का लाभार्थी ही उसमें फंस कर रह जाता है…
ब्लॉग जगत की ऐसी ही प्रजातियों के लिए ये पंक्तियां…
एक ब्लॉगर पोस्ट लिखता है,
एक ब्लॉगर पोस्ट पढ़ता है,
एक तीसरा ब्लॉगर भी है,
जो न पोस्ट लिखता है,
न पोस्ट के मर्म को पढ़ता है..
वह सिर्फ पोस्ट से खेलता है,
मैं पूछता हूं- ये तीसरा ब्लॉगर कौन है ?
ब्लॉग की समूची दुनिया मौन है...
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