मक्खन का इंटरव्यू…खुशदीप

एक युवक मल्टीनेशन कंपनी का इंटरव्यू देने गया…बोर्ड में उससे पूछा गया…भारत को आजादी कब मिली…

युवक…प्रयास तो बहुत पहले शुरू हो गए थे लेकिन सफलता 1947 में मिली…

बोर्ड…आज़ादी दिलाने में किन्होंने अहम भूमिका निभाई…

युवक…इसमें कई लोगों का योगदान रहा…किसका नाम बताऊं…किसी एक का नाम लूंगा तो अन्याय होगा…

बोर्ड…क्या भ्रष्टाचार देश का सबसे बड़ा दुश्मन है…

युवक…इस बारे में शोध चल रहा है…सही उत्तर मैं रिपोर्ट देख लेने के बाद ही दे पाऊंगा…

इंटरव्यू बोर्ड युवक के उत्तरों से काफ़ी प्रभावित हुआ…साथ ही युवक को हिदायत दी गई कि बाहर इंटरव्यू की बारी का इंतज़ार कर रहे किसी भी प्रतिभागी को इन सवालों के बारे में न बताए…

जब युवक बाहर आया तो कई उम्मीदवारों ने उससे पूछा कि क्या क्या सवाल पूछ रहे हैं…युवक ने सवाल बताने से इनकार कर दिया…उम्मीदवारों में मक्खन भी था…मक्खन ठहरा मक्खन…वो युवक के पीछे हो लिया…युवक बाहर आया तो मक्खन ने फिर उससे सवाल बताने के लिए कहा…युवक ने कहा कि वो अंदर कसम देकर आया है कि किसी को सवाल नहीं बताएगा…

मक्खन ने दिमाग (?) से काम लिया…बोला…सवाल न बताने की कसम खाई है न, जवाब बताने की तो नहीं…मुझे जवाब ही बता दो…मक्खन के ज़ोर देने पर युवक ने उसे सवालों के जवाब बता दिए…

मक्खन अपनी बारी आने पर पूरे कॉन्फिडेंस के साथ इंटरव्यू बोर्ड रूम में दाखिल हुआ…मक्खन ने जवाब तो रट लिए ही थे…

मक्खन से अंग्रेज़ी में पहला सवाल पूछा गया…आपकी जन्मतिथि क्या है…

मक्खन ने सवाल तो ढंग से सुना नहीं, जल्दी में रटा-रटाया जवाब दिया…प्रयास तो बहुत पहले शुरू हो गए थे लेकिन सफलता 1947 में मिली…

इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य थोड़े हैरान-परेशान…अगला सवाल दाग़ा…आपके पिता का क्या नाम है….

मक्खन…इसमें कई लोगों का योगदान रहा…किसका नाम बताऊं…किसी एक का नाम लूंगा तो अन्याय होगा…

बोर्ड वाले हक्के-बक्के…एक सदस्य बोला…क्या तुम्हारा दिमाग़ तो नहीं फिरा हुआ…

मक्खन…इस बारे में शोध चल रहा है…सही उत्तर मैं रिपोर्ट देख लेने के बाद ही दे पाऊंगा…



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