गूगल-फेसबुक सिर्फ 5 साल और ?…खुशदीप​ ​​

क्या आपने गूगल या फेसबुक के बिना इंटरनेट की कल्पना की है? प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक पांच सालों में गूगल और फेसबुक पूरी तरह से गायब हो सकती हैं।  एरिक जैकसन ने अपने लेख में इसके कारण बताए हैं।


1. साल 2010 के बाद बनी सोशल कंपनियां दुनिया के बारे में बिलकुल अलग राय रखती हैं। ये कंपनियां, उदाहरण के तौर पर इंस्टाग्राम, इंटरनेट के बजाय मोबाइल प्लेटफार्म को अपने कंटेट के लिए प्राइमरी प्लेटफार्म मानती हैं। वेब पर लांच करने के बजाय ये नई कंपनियां यकीन रखती हैं कि उनकी मोबाइल एप्लीकेशन को लोग इंटरनेट के स्थान पर इस्तेमाल करना शुरु कर देंगे। इस अवधारणा के अनुसार हमें कभी भी वेब 3.0 नहीं मिलेगा क्योंकि तब तक इंटरनेट समाप्त हो चुका होगा। 

2. वहीं वेब 1.0 (1994 से 2001 के बीच अस्तित्व में आई कंपनियां जिनमें नेटस्केप, याहू, एओएल, गूगल, अमेजन और ईबे शामिल हैं) और वेब 2.0 कंपनियां (2002 से 2009 के बीच अस्तित्व में आई कंपनियां जिनमें फेसबुक, लिंक्डइन, ग्रुपऑन आदि शामिल हैं) अभी भी इस नए बदलाव के साथ खुद को बदलने को लेकर आश्वस्त नहीं है। फेसबुक सोशल मीडिया कंपनियों में सबसे आगे है और बहुत जल्द ही वो अपना आईपीओ लांच कर रही है। हो सकता है कि उसकी मौजूदा बाजार कीमत 140 बिलियन डॉलर के आंकड़े को भी पार कर जाए। लेकिन फिर भी यह मोबाइल प्लेटफॉर्म पर पिछड़ रही है। इसकी आईफोन और आईपैड एप्लीकेशन इसके डेस्कटॉप वर्जन की ही नकल हैं।

3. फेसबुक इंटरनेट के जरिए पैसा कमाने के तरीके निकालने की कोशिश कर रही है। साल 2011 में फेसबुक की कुल आय सिर्फ 3.7 बिलियन डॉलर ही थी। वहीं 2011 की अंतिम तिमाही के मुकाबले 2012 की पहली तिमाही में भी फेसबुक की आय में कमी आई है। और सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि फेसबुक के पास अपनी मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए पैसा कमाने का अभी कोई तरीका भी नहीं है। 

4. वेब 1.0 कंपनियां सोशल मीडिया में नाकाम साबित हुई हैं। इससे मोबाइल प्लेटफार्म पर फेसबुक की सफलता को लेकर भी संदेह है। गूगल अपनी गूगल+ सेवा का हश्र देख ही चुकी है।  वहीं परिस्थितियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि मौजूदा आपरेटिंग वातावरण और कंपनियों के मूल उत्पादों में असंतुलन के कारण कंपनियों पर ‘पिछड़ने का दायित्व’ भी बढ़ रहा है। इस सिद्धांत से मौजूदा टेक्नोलॉजी दुनिया की दुर्दशा को समझा जा सकता है। 

अब सवाल उठता है कि क्या फिर गूगल, फेसबुक, अमेजन और याहू जैसी कंपनियां बेमानी हो जाएंगी? हालांकि ये कंपनियां अभी भी लगातार बढ़ रही हैं और अभी भी इनमें बहुत प्रतिभाशाली लोग जुड़े हैं। लेकिन नए बदलावों (जैसे पहले सोशल,  अब मोबाइल और आने वाले वक्त में कुछ और) में पुरानी तकनीकें प्रचलन से बाहर हो जाती हैं।

5. हम अभी जिस तकनीकी दुनिया में रह रहे हैं उसका लगातार विकास हो रहा है। याहू का बाजार 2000 के मुकाबले सिकुड़ रहा है। यह चर्चा जोरों पर है कि कैसे गूगल भी मुश्किल दौर से गुजर रही है। जब उसका डेस्कटाप सर्च व्यापार (गूगल की अधिकतर आय इसी से होती है) कम होने लगेगा तब उसके पास क्या विकल्प होंगे क्योंकि इंटरनेट यूजर ने मोबाइल पर अलग-अलग तरीकों से जानकारी खोजना शुरु कर दिया है।

क्या अमेजन भी लगातार कमजोर होगी? इसमें कोई शक नहीं है कि अमेजन अभी भी लगातार बढ़ रही है लेकिन जब मोबाइल प्लेटफार्म पर लोगों के पास सामान खरीदने के अन्य सुविधाजनक विकल्प होंगे तब निश्चित ही अमेजन की चिंता बढ़ जाएगी। फेसबुक के सामने भी यही चुनौती होगी। हमशी मैकेंजी ने हाल ही में कहा है कि मुझे नहीं लगता कि फेसबुक मोबाइल प्लेटफार्म पर आने के लिए खुद में बदलाव करके न्यूजफीड, मैसेजिंग, फोटो, और एड्रस बुक के लिए अलग-अलग एप्लीकेशन लांच कर पाएगी क्योंकि ऐसा करके उसका मूल रूप पूरी तरह से बदल जाएगा।  

सवाल यह है कि फेसबुक किस गति से मोबाइल प्लेटफार्म पर चेंज करेगा? अनुमानों के मुताबिक उसकी गति भी ऐसे ही होगी जैसे गूगल की सोशल होने के दौरान थी। फेसबुक का सबसे बड़ा डर यही है कि कहीं मोबाइल के दौर में वो पिछड़ न जाए। 

एप्पल के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। एप्पल मूलरूप से हार्डवेयर कंपनी है लेकिन फिर भी वो मोबाइल बाजार में कामयाब रही  क्योंकि उसने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम लांच कर दिया। शायद यही कारण है कि अन्य कंपनियां भी एप्पल का अनुसरण करने की सोच रही हैं। रिपोर्टों के मुताबिक फेसबुक और बायडू अपना मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम लांच करने पर काम कर रही हैं। 

अगले 5-8 सालों में इंटरनेट जगत में बहुत बदलाव होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि गूगल और फेसबुक अपने आज के आकार के मुकाबले सिमट जाएं या पूरी तरह से गायब ही हो जाएं। 
यूं तो इन कंपनियों के पास वेब से मोबाइल पर शिफ्ट होने के लिए तमाम पैसा और साधन होंगे लेकिन इतिहास के उदाहरण बताते हैं कि वो ऐसा कर नहीं पाएंगी। माना जाता है कि गूगल के कार्यकारी अध्यक्ष एरिक श्मिद्त भी भविष्य में सभी एंड्रायड उपभोक्ताओं से दस डॉलर प्रतिमाह वसूलने का विचार रखते हैं  ताकि भविष्य में कंपनी के आर्थिक फायदों को सुनिश्चित किया जा सके। 

 (Source : Dainik Bhaskar.com)

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