दाएं-बाएं दोनों हाथों से बोलिंग कर सकता है ये चायनामैन बोलर

24 साल के उत्कर्ष द्विवेदी के लिए क्रिकेट ही सब कुछ है। उत्कर्ष में ऐसी प्रतिभा है कि वो दाएं और बाएं दोनों हाथों से स्पिन बोलिंग कर सकता है। क्रिकेट की भाषा में इसे Ambidextrous कहा जाता है। बाएं हाथ से उत्कर्ष को चाइनामैन और दाएं से लेग ब्रेक करने में महारथ हासिल है। उत्कर्ष के लिए एक तरफ जहां गुजर बसर की जद्दोजहद रही तो वहीं क्रिकेट के जुनून को पूरा करने के लिए प्रैक्टिस से उसने कभी कोई समझौता नहीं करता। उत्कर्ष महज़ दो साल का था कि पिता का साया उसके सिर से उठ गया। कानपुर के आचार्य नगर के रहने वाले उत्कर्ष के पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी तब उसकी मां पर आ गई।

उत्कर्ष का घर कानपुर के कमला क्लब क्रिकेट एकेडमी के नज़दीक था। बच्चे में क्रिकेट के शौक को देखकर मां ने तमाम मुश्किलें सहते हुए भी उसका दाखिला एकेडमी में करा दिया। उत्कर्ष के बैटिंग से ज़्यादा बोलिंग की तरफ झुकाव के पीछे उनके घर की खस्ता माली हालत भी रही। बैटिंग के लिए अच्छे बैटिंग किट की ज़रूरत होती है।

क्रिकेट के साथ साथ घर का खर्च चलाने के लिए मां का हाथ बंटाने को उत्कर्ष ने अपनी ज़िम्मेदारी समझा। ऐसे में उत्कर्ष ने घर घर कूरियर बांटने के अलावा पेंटिंग ब्रश जैसा सामान भी बेचा। 2011 में 14 साल की उम्र में उत्कर्ष को कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन के मैच में खेलने का मौका मिला, इसमें उसने तीन विकेट लिए। उत्कर्ष को उसकी बोलिंग के लिए तारीफ तो खूब मिली लेकिन यूपी की टीम से मौका मिलने का वो इंतज़ार ही करता रहा। 2013 में उत्कर्ष को झारखंड़ के रांची स्पोर्टिंग क्लब से खेलने का ऑफर हुआ। उत्कर्ष को तब लगा कि क्रिकेट में ऊंचे मकाम तक पहुंचने का उसका ख्वाब अब पूरा हो जाएगा लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।

2014 में कानपुर में एक सड़क हादसे में उत्कर्ष का दायां कंधा लिगमेंट खुलने से बुरी तरह चोटिल हो गया। डॉक्टरों ने तब उत्कर्ष से कहा कि वो दाएं हाथ से बोलिंग करने की छह महीने तक सोचे भी ना। उन्होंने उत्कर्ष को साफ शब्दों में कहा था कि अगर वो ऐसा करते हैं, तो शायद वह फिर कभी गेंदबाज़ी ना कर पाए। उत्कर्ष ने इसी उधेड़बुन में तय किया कि दाएं हाथ से ना सही, लेकिन बाएं हाथ से तो गेंदबाजी कर ही सकता है। बस यही से उत्कर्ष के लेफ्ट आर्म चायनामैन बोलिंग का सफर शुरू हुआ। भारत के जानेमाने स्पिनर कुलदीप यादव से उत्कर्ष को कानपुर की रोवेर्स एकेडमी में प्रैक्टिस के दौरान चायनामैन बोलिंग के टिप्स मिले।

फिलहाल उत्कर्ष ने खुद को देश की क्रिकेट नर्सरी माने जाने वाले मुंबई में शिफ्ट कर लिया है।

मुंबई जैसे महंगे शहर में रहना उत्कर्ष के लिए आसान नहीं है। मगर कुछ लोगों की आर्थिक मदद से वो अपने सपने को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जरूरत पड़ने पर अपने खर्च के लिए उत्कर्ष बीच-बीच में पोहा, अंडे आदि बेच कर भी अपना खर्च निकालता है।